जी हां इलिया क्षेत्र में वन माफियाओं द्वारा लगातार हरे वृक्षों की कटाई की जा रही है। दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारियों को भनक तक नही लग पा रही है। पर हैरान करने वाली बात ये है कि आखिर पेड़ों के कटान की सूचना वन विभाग को क्यूं नहीं मिल पा रही है। खैर विभाग की अपनी क्या मिलीभगत है ये तो उन्हे ही पता है। पर वन माफियाओं की खूब चांदी कट रही है।
दरअसल रात के अंधेरे में, दोपहर या शाम किसी भी वक्त आए दिन वन माफियाओं की लकड़ी से लदे ट्रैक्टर बड़े ही आसानी से बिना रोक टोक के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इधर लकड़ी कारोबारियों की अगर मानें तो उन्हे प्रशासन से किसी भी तरह की परेशानी नहीं है क्योंकि वो पहले की इसके लिए मोटा कमीशन विभाग को दे दिेये होते हैं। इनका कहना है कि बिना कमीशन दिये इनके लिए
काम करना आसान नहीं होता है। पर पैसे दे देने के बाद इन्हे किसी तरह की रोक-टोक नहीं होती है।
जानकारी के अनुसार प्रत्येक गाड़ी पर तीन चार हजार रुपये कमीशन अधिकारियों की बंधी रहती है। जितनी गाड़ी पास होती है उतनी रकम उनके लोग लेकर चले जाते है। कभी कभी पहुंचाना भी पड़ता है। वही जिस गाड़ी से लकड़ी की खुलासा हो जाती है। उसको अधिकारियों द्वारा शो कर दिया जाता है। ताकि लिफाफा बन्द धन्धे का खुलासा न हो सके।
सवाल पूछने के बाद अधिकारी पहले अनभिज्ञता जताते है। फिर कार्यवाही करने की आश्वासन देकर शान्त बैठ जाते है। इसके पीछे का सबसे बड़ा सच तो यह है कि बिना इनके हुक्म के एक पत्ता भी नही हिल सकता है। इस संबंध में वन विभाग के चकिया रेंजर ने कहा कि अभी मुझे पता नही है । जैसे ही पता चलता है तो तुरन्त कार्यवाही की जायेगी।