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कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखी चिट्ठी, वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार कुमार मंगलम बिड़ला

आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन ने कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा को लिखे पत्र में कहा कि वे वोडाफोन-आइडिया में अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हैं।

Aug 02, 2021 / 07:43 pm

Mohit Saxena

kumar mangalam birla

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नई दिल्ली। आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा कि कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया (Vi) के लिए किसी निवेशक की तलाश है। उन्‍होंने लिखा कि विदेशी निवेशक भारतीय टेलिकॉम मार्केट में तीन कंपनियों को लेकर सरकार का स्‍पष्‍ट रुख जानना चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिड़ला ने कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा को लिखे पत्र में कहा कि वे वोडाफोन-आइडिया में अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हैं।

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सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को सौंपने को राजी

कुमार मंगलम बिड़ला ने चिट्ठी में कहा कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) का वजूद बचाने के लिए वे अपनी हिस्सेदारी किसी सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को सौंपने को राजी हैं। गौरतलब है कि बिड़ला वोडाफोन इंडिया के प्रमोटर और चेयरमैन भी हैं। उनकी इस कंपनी में 27 फीसदी और ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन पीएलसी की 44 फीसदी की हिस्सेदारी है। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 24 हजार करोड़ रुपये है। दोनों प्रमोटर्स ने कंपनी में नया निवेश नहीं करने का निर्णय लिया है। वोडाफोन इंडिया पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

केंद्र की मदद के बिना निवेशक हाथ बढ़ाने को तैयार नहीं

वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के बोर्ड ने सितंबर 2020 में 25 हजार करोड़ रुपये की पूंजी जुटाने का ऐलान किया था। मगर, सरकारी मदद के बिना कोई भी निवेशक कंपनी में नया निवेश करने को तैयार नहीं है। बिड़ला ने गाबा को लिखे पत्र में कहा है कि अगर सरकार किसी कंपनी को इसे चलाने में सक्षम समझती है तो वे उसे अपनी हिस्सेदारी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों में ज्यादा भरोसा जगाने को लेकर सरकार को तुरंत कदम उठाने जरूरी है।

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सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2021 में एजीआर कैल्कुलेशन (adjusted gross revenue) में सुधार के लिए वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की याचिका खारिज करी थी। कंपनी के अनुसार, उस पर 21,500 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। इसमें से 7,800 करोड़ रुपये का भुगतान करा है। वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस के अनुसार, कंपनी पर करीब 58,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।

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