कोरोना संकट कितना गहरा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुंबई के हयात रिजेंसी ( Hyatt Regency ) होटल के पास अपने कर्मचारियों की सैलरी देने के पैसे नहीं हैं और यही वजह है कि उसने अपना कामकाज अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
यह भी पढ़ेंः
मुंबई से कोलकाता आ रहे विस्तारा विमान को लैंडिंग के वक्त लगा जोरदार झटका, घायल यात्रियों को अस्पताल में कराया गया भर्ती कोरोना की दूसरी लहर के बीच भले ही मुंबई सोमवार से अनलॉक हुई हो, लेकिन यहां के एक बड़े होटल पर तो अस्थायी ताला लग गया है। कोरोना संकट के बीच मुंबई हयात रिजेंसी होटल के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं है। लिहाजा होटल ने अपना कामकाज अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
ये है होटल का बयान
होटल ने एक बयान में कहा है कि फंड की बहुत तंगी है, इसलिए अगले आदेश तक होटल बंद रहेगा। होटल का संचालन करने वाली कंपनी एशियन होटल्स (West) के पास से कोई फंड नहीं आ रहा, इसलिए कामकाज बंद करना पड़ा है।
हयात रिजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘होटल के सभी ऑन-रोल स्टाफ को सूचित करना चाहते हैं कि हयात रिजेंसी मुंबई के ओनर एशियन होटल्स वेस्ट लिमिटेड से कोई फंड नहीं आ रहा जिससे कि कर्मचारियों की सैलरी दी जा सके या होटल का कामकाज चलाया जा सके।
यही वजह है कि तत्काल प्रभाव से यह फैसला लिया गया है कि सभी कामकाज अस्थायी रूप से बंद कर दिए जाएं।’ अगले आदेश तक बंद रहेगा होटल
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर सबसे ज्यादा मार झेल रहा हयात रिजेंसी होटल अब अगले आदेश तक बंद रहेगा। दरअसल कोरोना की मार का असर पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन से ही देखने को मिल रहा है।
लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था के ठप पड़ने से टूरिज्म एवं ट्रैवल से जुड़े हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। खास बात यह है कि अब तक सरकार की ओर से घोषित राहत पैकेजों में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को लेकर कोई राहत पैकेज शामिल नहीं रहा।
कोरोना संकट के बीच लोगों ने सिर्फ जरूरी यात्राएं की हैं। यही वजह है कि होटल इंडस्ट्री को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अनलॉक के बाद जैसे ही अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही थी, दूसरी लहर ने इस इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी।
यह भी पढ़ेंः
महात्मा गांधी की पड़पोती को दक्षिण अफ्रीका में सुनाई 7 वर्ष की सजा, जानिए क्या है पूरा मामला ऐसे में हयात रिजेंसी जैसे बड़े होटल के बंद होने के इंडस्ट्री के लिए बड़े खतरे की घंटी के तौर पर देखा जा रहा है।
कंपनियों के सामने बहुत बड़ा संकट है कि ना सिर्फ स्टॉफ को सैलरी देना बल्कि बिना किसी गेस्ट के भी इन होटलों के संचालन का डेली का भारी-भरकम खर्च होता है।