गजक में अब नयापन–
समय के साथ गजक व्यवसाय पर मंदी के असर के बाद गजक व्यवसायी सर्दी की मिठाई गजक में अब नयापन लाने की कोशिश में लगे है। यही वजह है कि मार्केट में गजक की हर साल नई वैरायटी देखने को मिलती है। इस बार भी कई नई वैराइटी बाजार में है।. उबड़-खाबड़ और बाटी मुंगफली के नाम वाली गजक लोगों की खास पसंद बनी है। इसकी कीमत 200 रुपये किलो है। गजक विक्रेता कैलाश का कहना है कि केसर गजक और काजू पिस्ता गजक की खूब डिमांड हैं। गजक की कीमत 200 रुपये से शुरू है और 600 रुपये किलो तक बाजार में मौजूद है। सर्दी के मौसम में घूमने आने वाले सैलानी बूंदी की गजक को साथ लेकर जाते है।
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15 साल से गजक का व्यवसाय करने वाले कैलाश बताते है कि गजक का व्यवसाय अब धीरे-धीरे मंदा होता जा रहा है। जहां इस व्यवसाय में मेहनत लगती है वही दाम नही निकल पाता। मंहगाई के असर से अब मजदूरी का पैसा निकालना भी मुश्किल है, ऐसे में अब गजक बनाने वालों की संख्या में कमी आई है। गजक के पंसदीदा लोगो के लिए हर बार गजक मिटाई में नयापन लाने की कोशिश की जाती है। यही वजह है कि गजक का अपना अलग स्वाद है।
कारोबारियों का कहना है कि तिल्ली गुड़, शक्कर के भावों में तेजी की वजह से गजक के भाव तेज है। गुजरात से तिल आता है, लेकिन बढ़ती महंगाई का असर लोगो पर नही है।
गुड की गजक की डिमांड अधिक-
कारोबारियों का कहना है कि शक्कर की तुलना में गुड की गजक की डिमांड अधिक रहती है। शक्कर की तुलना में गुड व गजक 70 फीसदी अधिक बिकती है। इसकी मुख्य वजह से गुड व तिल्ली की तासीर गर्म होना है। इसके अलावा लोगों को गुड से बनी गजक स्वाद में अच्छी लगती है। जो सर्दी में स्वास्थ्य के लिए काफी असरदार रहती है। इन्हीं सबके चलते सर्दी के दिनों में न केवल गुड की डिमांड बढ़ जाती है बल्कि इनके दामों में वृद्धि हो जाती है।