वर्तमान में डिजिटल युग में आईएफपीडी के माध्यम से प्रायोगिक कार्य करवाना, पीपीटी आदि के उपयोग पर भी समझाईश की गई। दोनों दिवस प्रशिक्षण के प्रभारी सहायक परियोजना समन्वयक सुनीता कटारा, कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार, समग्र शिक्षा बूंदी ने बताया कि प्रशिक्षण में एसआर जी के रूप में मनोज जांगिड़ व मनोज चंदोलिया ने विशिष्ट भूमिका निभाई। विद्यालयों में प्रयोगशाला संवर्धन व उनके विकास के लिए राज्य स्तर पर प्रयास जारी हैं। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डॉ.महावीर कुमार शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी मा. राजेंद्र कुमार व्यास, सहायक निदेशक धनराज मीना, एपीसी दिलीप सिंह गुर्जर, वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक दीपक मीणा व ब्रह्मानंद आदि ने अपने अनुभव साझा किए।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि प्रयोग से ही विज्ञान है, प्रायोगिक कार्य के बिना विज्ञान अधूरी है। प्रयोगशाला को सक्रिय व जीवंत बनाने पर बल दिया। साथ ही प्रयोगशाला सहायकों को निरंतर रूप से बच्चों को प्रायोगिक कार्यों से जोड़ने और अधिक से अधिक बच्चों को विज्ञान की ओर जाने को लेकर चर्चा की। समापन प्रमाण पत्र वितरण से हुआ।