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बूंदी

विदेशी माटी में पैदा हो रही क्विनवा को रास आई हाड़ौती की माटी

बूंदी में प्रयोग सफल, अब किसान कर सकेगें बुवाई, अन्तरराष्ट्रीय बाजार में मांग-

बूंदीDec 03, 2017 / 02:49 pm

Suraksha Rajora

Quinna came to the rescue

aushadhee phasal

बूंदी- अब तक विदेशी माटी में पैदा हो रही ‘क्विनवा’ अब हाड़ौती के खेतो में लहलहाती दिखाई पड़ेगा। इसे प्रायोगिक तौर पर कृषि विज्ञान केन्द्र में लगाया गया ओर सफल रहें। यहां की मिट्टी को ‘क्विनवा के लिए मुफीद माना गया। अब जिले के किसान भी इस औषधी फसल को कर सकेगें। इस नाम से सभी लोग अंजान है लेकिन क्विनवा एक प्रकार की औषधीय रूप माना जा रहा है, जो सभी बीमारियों और खाद्य रूप में एक बेहतर विकल्प है।
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कृषि में लगातार हो रहे नवाचार के रूप में अब राज्य में दक्षिणी अमेरिकी देशों में होने वाली क्विनवा की खेती को लेकर भी प्रयास किए जा रहें है। प्रायोगिक तौर पर इसे भीलवाड़ा और चित्तौडगढ़़ में जिलों में उगाया था, जिसकी सफलता के बाद इसकी खेती पूरे प्रदेश में की जाएगी। बूंदी कृषि विश्वविद्यालय में भी क्विनवा की खेती को प्रयोगिक तौर पर शुरू करने के निर्देश दिए थे जिस पर कृषि विज्ञान केन्द्र ने इसका सफलतापूर्वक उत्पादन कर लिया है।

‘क्विनवा बथुआ प्रजाति का सदस्य-
क्विनवा बथुआ प्रजाति का सदस्य है। जिसे रबी में उगाया जाता है। इसका वानस्पितक नाम चिनोपोडियम क्विनवा है। इसके बीज को सब्जी, सूप, दलिया और रोटी के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। पोषक तत्वों की बहुलता की वजह से इसे सुपर फूड और मदर ग्रेन कहा गया है। केन्द्र में १०० वर्ग मीटर एरिया में क्विनवा का उत्पादन किया जो सफल रहा १०० ग्राम बीज के उत्पादन में करीब एक क्विंटल उत्पादन हुआ है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि इसकी खेती को सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
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इसे क्षारीय और बंजर भूमि में भी उगाया जा सकता है। क्विनवा का पेड़ सूखा और पाला सहन करने के साथ कीट रोग सहनशील भी है। उन्होंने बताया कि राज्य के जलवायु परिदृश्य के लिहाज से यह पूरी तरह मुफीद है, इसलिए इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने के प्रयास किए जा रहें है।इसका उत्पादन एक हेक्टेयर में 5 से 18 क्विंटल तक लिया जा सकता है। इसकी खेती करने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण और तकनीक की आवश्यकता नहीं है। सामान्य खेती की तरह इसकी खेती की जा सकती है।
अब इंतजार बडे पैमाने पर उत्पादन का-

सफल उत्पादन के बाद सरकारी स्तर पर इसकी खरीद सुनिश्चित करने के लिए किसी भी कम्पनी से अनुबंध किया जाए ताकि इसके उत्पादन को बेचने के लिए आसानी हो सके। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में क्विनवा 500 से 1000 रूपये किलो तक बिकता है। 100 ग्राम क्विनवा में 14 ग्राम प्रोटीन, 7 ग्राम डायटरी फाइबर, 197 मिलीग्राम मैग्नेशियम, 563 मिलीग्राम पोटेशियम और 0.5 मिलीग्राम विटामीन बी.6 पाया जाता है।
कई बीमारियों के लिए रामबाण है क्विनवा

हार्वड विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि क्विनवा के रोज सेवन से डायबिटी,हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों में लाभ मिलता है।
इन देशों में हो रही है इसकी खेती

इसकी खेती अभी पेरू, बोलिविया, ऑस्टेलिया, चाइना, कनाडा, इंग्लैंड सहित कई देशों में हो रही है।

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$कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यक्रम समन्वयक नाथुलाल मीणा ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर क्विनवा की खेती को प्रारम्भ किया है। यदि भविष्य में इसका विपणन मूल्य संवर्धन की तकनीक एवं संसाधन विकसित होते है तो इसकी खेती को बढावा मिलेगा साथ ही किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। इच्छूक किसान अगर इस खेती को अपनाते है तो उन्हें सरकारी दर पर बीज केन्द्र उपलब्ध करवाएगा।

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