ज्ञापन में बताया कि कोटा विकास प्राधिकरण के गैर जिम्मेदार अधिकारियों के आदेश पर प्राधिकरण के कार्मिकों ने प्राचीन धरोहरों को विस्थापित करने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करते हुए अपमानजनक तरीके से जेसीबी चलाकर बूंदी हाड़ा वंश के महाराजा सूरजमल की 600 वर्ष पुरानी छतरी को तहस नहस कर दिया। कोटा विकास प्राधिकरण के अधिकारी छतरी निर्माण के लिए अन्यत्र भूमि उपलब्ध करा कर मामले में लीपापोती करने में लगे है। सदस्यों ने महाराजा सूरजमल की छतरी को प्राचीन स्मारकों के विस्थापन के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन न करते हुए सामान्य अतिक्रमण की भांति तोड़ने का अपराध करने वाले व ऐसा करने का आदेश देने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने, राजस्थान में 100 वर्ष से अधिक पुराने ऐसे सभी स्मारकों के संरक्षण के लिए एवं जन आस्था के ऐसे स्मारकों के साथ पुनः ऐसीकोई गैर जिम्मेदाराना हरकत नहीं हो, इसकी रोकथाम के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने, महाराजा सूरजमल की छतरी को वापस उसी स्थान पर पूर्ण सम्मान के साथ उसके उसी स्वरूप में स्थापित करने, हवाई अड्डे का नामकरण महाराजा सूरजमल के नाम से किए जाने की मांग रखी।