पहले के लोग सादा गुड़ ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन इन दिनों लोग बादाम, काजू, तिल डाल कर कतली जमा लेते हैं। बाद में सेट होने पर उन्हें भरकर घर पर ले जा रहे हैं एवं शाम सुबह खाते हैं।लोगों का कहना है कि कतली गुड़ खाने में स्वादिष्ट लगता है। इसका चलन बढ़ रहा है।
गुड़ पाचन शक्ति बढ़ाता है।अपचय,गैस, सहित कई रोगों से बचाता है।मांगली कला निवासी राम नारायण सैनी, नाथूलाल कुमावत, दुर्गा लाल सैनी, गणेश लाल सैनी ने बताया कि यहां पर प्रतिदिन सौ गुड़ की भेलिया तैयार होती है, लेकिन बाहर से आने वाले लोग चरखी में जाकर गुड़ खरीद कर ले जाते हैं। किसानों का कहना है कि पहले एक बीघा में 15 क्विंटल गुड तैयार हो जाता था, लेकिन अब 12 क्विंटल गुड तैयार हो रहा है।
क्षेत्र में गुड़ बनाने का काम यहां पहले हिण्डोली क्षेत्र के अमरत्या व बालोला में होता था, लेकिन धीरे-धीरे वहां पर गन्ना उत्पादन खत्म हो गया। मांगली गांव मेज नदी के पास होने से आसपास होने से यहां पर गुना उत्पादन अच्छा होता है एवं किसान गन्ने का उपयोग गुड़ बनाने में कर रहे हैं। यहां पर चलने वाली चर्खियों में किसानों के पास ग्राहक खुद जाकर खुद खड़े रहकर गुड तैयार कर वहीं से ले जा रहे हैं, जिससे उन्हें बाजार में गुड़ बेचने की ज़रूरत तक नहीं पड़ रही है।