ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक दुर्घटना में अपने चचेरे भाई की मृत्यु और मां के निधन के बाद विनोद खन्ना जैसे जिंदगी से हार चुके थे। ये वहीं वक्त था जब उन्होंने ओशो की तरफ रुख किया था और बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं। लगभग चार साल तक एक्टर विनोद खन्ना रजनीश के आश्रम में जा कर रहे थे, जो कि अमेरिका में था।
इस दौरान वे जितने भी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे सब अधूरे छोड़ कर ही वे चले गए थे। उन्होंने अपनी एक फिल्म बीच में ही छोड़ दी थी। दरअसल उस समय विनोद खन्ना ‘शत्रुता’ नामक एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और ये फिल्म लगभग 75 प्रतिशत तक पूरी भी हो गई थी और फिर एक दिन विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला कर डाला।
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सनी देओल नहीं दोहराएंगे फिर वही गलती, अक्षय कुमार का नाम लेकर कही इतनी बड़ी बात इस फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट द्वारा किया जा रहा था। शत्रुता में नसीरुद्दीन शाह और रेखा भी अहम भूमिका में थीं। संदीप सेठी द्वारा प्रोड्यूस की जा रही। निर्माता ने विनोद खन्ना से इस फिल्म को पूरा करने की बहुत अपील भी की थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इतना ही नहीं खबरें तो यहां तक भी है कि विनोद खन्ना ने जब प्रोड्यूसर का फोन उठाना बंद कर दिया, तब महेश भट्ट खुद विनोद खन्ना को मनाने के लिए अमेरिका गए थे। हालांकि इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।
कुछ सालों बाद यानी 1986 में वह भारत वापस आए और तब उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को पूरा किया, लेकिन ये फिल्म रिलीज ही नहीं हो पाई। पर्सनल लाइफ से हटकर प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री में काफी लंबे वक्त तक काम किया। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी जो आज भी लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं।
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इस एक्ट्रेस को किस करने पर घबरा जाते थे इमरान हाशमी, सीन के बात पूछते थे ये सवाल उन्होंने परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, पांच दुश्मन, शंकर शंभु, अमर अकरबर एंथनी, जमीर जैसी फिल्मों के जरिए विनोद खन्ना ने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया था। इतना ही नहीं फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ उन्होंने राजनीति में भी कसर नहीं छोड़ी। विनोद खन्ना भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चार बार पंजाब के गुरदासपुर से सांसद से रहे थे।