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पिता के ‘राजा का बेटा राजा नहीं’ शब्दों को जीवन में उतारा : आनंद कुमार

अपनी बायोपिक को लेकर आनंद ने कहा कि फिल्म की स्टोरी पर करीब 8 साल पहले काम शुरू हुआ था। पहले अनुराग बासु …

Aug 08, 2019 / 06:03 pm

Shaitan Prajapat

Anand Kumar

Anand Kumar

पैसों के अभाव में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी नहीं जा पाया था। पैसा मेरे और कैंब्रिज के बीच दीवार बनकर खड़ा था। उस दिन खुद से वादा किया कि आगे किसी टैलेंट को रुपयों की कमी के चलते घुटने नहीं टेकने दूंगा। ये कहना है ‘सुपर 30’ के फाउंडर आनंद कुमार का। पत्रिका ऑफिस पहुंचे आनंद ने कहा कि साल 2002 में इसी सोच के साथ सुपर 30 की शुरुआत की थी, जो आज मिशन बन चुका है। ये देशभर के स्टूडेंट्स के लिए एक इंस्पीरेशन है। उन्होंने कहा कि आज एजुकेशन बिजनेस बनकर रह गया है। एजुकेशन जब आम आदमी की अप्रोच से बाहर है, तो सोचिए गरीब बच्चों का क्या होगा। गरीब बच्चों को एजुकेट करने की जिम्मेदारी सरकार के साथ हमारी भी है। उल्लेखनीय है कि आनंद के जीवन पर बनी ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म ‘सुपर 30’ देशभर में सुर्खियां बटोर रही है।

आठ साल पहले शुरू हुआ था फिल्म पर काम
अपनी बायोपिक को लेकर आनंद ने कहा कि फिल्म की स्टोरी पर करीब 8 साल पहले काम शुरू हुआ था। पहले अनुराग बासु फिल्म बना रहे थे, लेकिन आइडिया ड्रॉप हो गया। जब ढाई साल पहले ऋतिक ने फिल्म साइन की, तब मुझे यकीन हो गया कि फिल्म के साथ जस्टिस होगा। फिल्म में तथ्यों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके चलते ही फिल्म की स्क्रिप्ट 13 बार बदलनी पड़ी। हालांकि फिल्म मनोरंजक हो इसको लेकर थोड़ा मसाला डाला गया है।

ऋतिक मैथ्स में कमजोर, टीचिंग स्टाइल हूबहू मेरे जैसा
फिल्म में अपने किरदार को लेकर उन्होंने कहा कि जब ऋतिक को आनंद कुमार के रूप में देखा तो ऐसा लगा कि खुद को कांच में देख रहा हूं। मेरे पढ़ाने के स्टाइल को उन्होंने हूबहू कॉपी किया। हालांकि ऋतिक मैथ्स में कमजोर हैं, लेकिन ऑन स्क्रीन कमाल की टीचिंग की। साथ ही उनका बिहारी एक्सेंट भी जबरदस्त रहा। स्क्रिप्ट में मेरा स्ट्रगल पढ़कर ऋतिक शूटिंग के दौरान कई बार रो दिए थे।

 

hrithik roshan

भाई ने लक्ष्मण बन निभाया साथ
आज यदि मैं इस मुकाम पर हूं, तो छोटे भाई प्रणव कुमार की वजह से ही हूं। प्रणव ने लक्ष्मण की तरह हर कदम पर मेरा साथ दिया है। वहीं प्रणव का कहना है कि कभी नहीं सोचा था कि हम लोगों पर फिल्म बनेगी। एक नेक सोच के साथ कदम बढ़ाए थे और सब कुछ अपने आप होता गया। बच्चों की सफलता में ही आज असली आनंद आता है।

राजा वही है जो काबिल हो
फिल्म के डायलॉग ‘अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा’ को लेकर उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी ये डायलॉग बोला करते थे, जो मैंने अपनी जिंदगी में उतारा और सिद्ध करके बताया कि अब राजा वही बनेगा जो काबिल होगा।

नहीं टूटा इंस्टीट्यूट का डिसीप्लेन
फिल्म में स्टूडेंट्स के की ओर से मिलकर बदला लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि रियल लाइफ में बच्चों ने मिलकर मुझे प्रोटेक्ट जरूर किया था, लेकिन मारपीट जैसे सीन्स फिल्म को और प्रभावी बनाने के लिए डाले गए हैं। रियल में मेरे इंस्टीट्यूट का डिसीप्लेन कभी नहीं टूटा। मुझे बहुत बार धमकियां मिली और हमले की कोशिश भी हुई, लेकिन मैंने हिमत नहीं हारी।सक्सेस का फॉर्मूला है ‘हार्ड वर्क’

सक्सेस का फॉर्मूला है ‘हार्ड वर्क’
लाइफ में सक्सेस का फॉर्मूला है ‘हार्ड वर्क’। असफलता से निराश होने की जरूरत नहीं है। अगर आप में इच्छाशक्ति है, तो दुनिया की कोई बाधा आपको रोक नहीं सकती। आनंद ने बताया कि वे अब तक 440 स्टूडेंट्स को विभिन्न आइआइटी और 510 स्टूडेंट्स को एनआइटी सहित दूसरे टॉप इंस्टीट्यूशंस में सलेक्ट करवा चुके हैं।

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