पटना। बॉलीवुड सितारों की कोई प्रेम कहानी न हो, यह
भला कैसे हो सकता है। कुछ कहानियां उजागर हो जाती हैं, तो कुछ वक्त के साथ
दब जाती हैं। लेकिन बॉलीवुड में ऐसे बहुत कम अफेयर्स होंगे, जिनके बारे में
लोगों को पता न हो। बेशक, स्टार्स अपने अफेयर्स को छुपाने की कोशिश करें,
लेकिन एक न एक दिन उनकी जुबां पे वह बात आ जाती है। उन्हें यह कहने में
गुरेज नहीं होता कि ‘हां, मैने भी प्यार किया है…।’
ऐसे ही
सितारों में एक है नेता-अभिनेता शत्रुघ्र सिन्हा। वे अपने बड़बोले पन के
लिए भी फेमस हैं। हाल ही शत्रुघ्न सिन्हा पटना में 14 से 17 जनवरी तक
आयोजित कोलकाता लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने गए थे। वहां से लौटते वक्त
उन्होंने यह साक्षात्कार एक न्यूज एजेंसी का दिया था। इंटरव्यू में उनसे
उनकी निजी जिंदगी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से
जुड़ी कई बातें साझा कीं। शत्रु ने अपनी बायोग्राफी ‘एनिथिंग बट खामोश’ का
जिक्र करते हुए कहा कि उनकी लाइफ में कई लड़कियां आईं, लेकिन मैंने उन
लड़कियों के बारे में किताब में जिक्र करना मुनासिब नहीं समझा।
अब
सवाल यह उठता है कि क्या शादी के बाद भी शॉटगन शत्रु के संबंध रहे हैं,
मतलब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स? क्या किताब में उन्होंने ऐसे सबंधों का
खुलासा किया है? ऐसे कई सवालों के जवाब के आईने में उतरती है शत्रुघ्र
सिन्हा की सच्ची तस्वीर…
क्या लिखा है किताब में…
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किताब उनकी लाइफ जर्नी है। कैसे वो घर से पुणे पढऩे गए। फिल्म इंडस्ट्री
में स्ट्रगल और उसके बाद उनकी जिंदगी में ‘घरवाली’ आई और फिर ‘बाहरवाली’।’
– शत्रुघ्न ने किताब में अपने को-एक्टर रीना राय के साथ ऑफ स्क्रीन रिलेशन के बारे में खुलकर लिखा है।
– पूनम के साथ शादी होने के बाद भी कुछ समय तक रीना राय के साथ उनका रिश्ता रहा।
– शत्रु कहते हैं, यदि मैं अपनी लाइफ से जुड़ी कहानियों को किताब में शामिल नहीं करता, तो यह ईमानदारी नहीं होती।
– शत्रुघ्न ने कहा है कि बिना किसी के इमोशंस को चोट पहुंचाए किताब लिखी गई है।
– बुक में कोई हल्की बात नहीं है। मैंने अपने जीवन में आई बहुत-सी लड़कियों का जिक्र नहीं किया है।
– उन सबका घर बस गया है, उनके बच्चे हैं। उनकी पहचान उजागर करना सही बात नहीं होती।
मेरी शोहरत से परेशान थे अमिताभ…
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बॉलीवुड कभी अमिताभ व शत्रु के दोस्ताना का गवाह रहा है। 70 के दशक में इस
दोस्ती में दरार पड़ गई थी। दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदली, इसका उल्लेख
शत्रु ने अपनी बायोग्राफी में किया है।
– बायोग्राफी के मुताबिक, शॉटगन
मानते हैं कि 70 के दशक में बॉलीबुड में उनका कद अमिताभ बच्चन से बड़ा था।
इस कारण ही दोस्ती में दरार पड़ी।
– अपनी किताब में शत्रु लिखते हैं कि
तब लोग कहते थे कि अमिताभ और मेरी ऑन स्क्रीन जोड़ी सुपरहिट है, पर वो मेरे
साथ काम नहीं करना चाहते थे।
– उनको लगता था कि ‘नसीब’, ‘काला पत्थर’,
‘शान’ और ‘दोस्ताना’ में शत्रुघ्न सिन्हा उन पर भारी पड़ गए, लेकिन इससे
मुझे कभी फर्क नहीं पड़ा।
– ‘काला पत्थर’ के सेट पर कभी मुझे अमिताभ के
बगल वाली कुर्सी ऑफर नहीं की गई। शूटिंग के बाद लोकेशन से होटल जाते हुए
कभी अमिताभ ने मुझे अपनी कार में आने के लिए ऑफर नहीं दिया। मुझे ये देखकर
आश्चर्य होता था कि आखिर ये क्यों हो रहा है। लेकिन मैंने कभी किसी बात को
लेकर शिकायत नहीं की।
हार के बाद खूब रोया…
– एक बात का हमेशा
मलाल रहेगा, जब मैंने 1991 में दिल्ली में राजेश खन्ना के खिलाफ इलेक्शन
लड़ा। इसके लिए उनसे मैंने माफी भी मांगी थी। उस समय ऐसा कोई कारण नहीं था
कि बाइ-इलेक्शन से मैं अपना पॉलिटिकल करियर शुरू करूं। लेकिन मैंने आडवाणी
जी से इसके लिए नहीं कहा था।
– जब मैं दिल्ली में चुनाव हारा, तब सही
मायनों में निराश हुआ था। शायद पहली बार मैं खूब रोया भी था। मैं बहुत
कमजोर महसूस करता था, क्योंकि आडवाणी जी एक भी बार मेरे लिए कैम्पेन करने
नहीं आए।
– जैसे ही चुनाव हारा, मुझे साइडलाइन कर दिया गया। अशोका रोड
के पार्टी ऑफिस में मुझे कोई तरजीह नहीं दी जाती थी। जब मैं वहां जाता था,
तो या तो लोग मुझसे बात नहीं करते थे या टॉपिक ही बदल लेते थे।
– एक दिन
पार्टी का एक पदाधिकारी मेरे पास आया और बोला, “शत्रु जी, प्लीज बाहर
बैठिए। जब बात करनी होगी, हम आपको बुला लेंगे। ये बात दिल को लग गई और मैं
कभी ऑफिस नहीं गया।”
– पार्टी में कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो 2014 में इलेक्शन हारे, लेकिन उन्हें मंत्री बना दिया गया।
सोनाक्षी ने कहा था- हर किसी का होता है अपना पास्ट
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कुछ साल पहले सोशल मीडिया पर इस तरह की बहुत-सी फोटोज पोस्ट की गईं कि
सोनाक्षी सिन्हा और रीना राय दिखने में बहुत हद तक एक जैसी हैं।
– तब
सोनाक्षी ने अपने पिता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर जवाब दिया था।
सोनाक्षी ने कहा था कि मुझे लगता है कि यह तब कि बात है, जब मैं पैदा भी
नहीं हुई थी। जब मैं बड़ी हुई और चीजों को समझना शुरू किया, तब इसके बारे
में पता चला। कुछ बातें जो कई साल पहले हुईं, इसके लिए मैं अपने पिता को
सूली पर नहीं चढ़ा सकती। यह उनका पास्ट है। हर किसी का अपना पास्ट होता है,
इसलिए मैं इस मुद्दे पर ज्यादा नहीं सोचती।
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