दरअसल, नसीरुद्दीन शाह ने एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा है कि ‘पुलिस से ज्यादा गाय की मौत का महत्व हो गया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों को कानून हाथ में लेने की खुली छूट दे दी गई है।’ एक्टर ने कहा, ‘मैंने मेरे बच्चों को मजहब की तालिम नहीं दी है। ऐसे में अगर मेरे बच्चों को भीड़ ने घेर लिया और उनसे पूछा कि तुम हिन्दू हो या मुस्लिम तो उनके पास कोई जवाब नहीं होगा। मुझे फिक्र है कि हालात जल्दी सुधरते नजर नहीं आ रहे हैं।’
नसीरुद्दीन शाह का ये इंटरव्यू यूट्यूब चैनल ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ पर जारी किया गया है। उनका कहना है, ‘कई इलाकों में हम देख रहे हैं कि एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत से ज्यादा एक गाय की मौत को अहमियत दी जा रही है। मुझे अपने औलादों के बारे में सोचकर फिक्र होती है क्योंकि मैंने अपने बच्चों को मजहब की तालीम बिल्कुल नहीं दी है। हमने उन्हें अच्छाई और बुराई के बारे में सिखाया है और मेरा मानना है कि अच्छाई और बुराई का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है।’
कांग्रेस-बीजेपी में तकरार
इस बयान को लेकर सियासत हो रही है। कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि, ‘हम आपसे सहमत हैं, घृणा से डरे नहीं, इससे लड़ें।’ इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने इंदौर में मीडिया से कहा, बीजेपी के लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की राजनीति के चलते धर्मनिरपेक्ष नागरिक डर के माहौल में जी रहे हैं। हमें डर है कि अगर नरेन्द्र मोदी सरकार फिर से सत्ता में आती है तो ना संविधान बचेगा और ना ही लोकतंत्र।’
बीजेपी ने इस पर पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे पीआर स्टंट करार दिया हैै। उनका कहना है कि यह सहिष्णुता और असहिष्णुता की डिबेट नहीं है। ये एक पीआर स्टंट है। पार्टी के प्रहलाद पटेल का कहना है कि, ‘इस देश ने शाह जैसे कलाकार को बहुत कुछ दिया है, उन्हें नाम, शौहरत और सम्मान मिला है। अगर फिर भी उन्हें ये देश महफूज नहीं लगता है तो उन्हें अपनी पसंद का देश चुन लेना चाहिए।’