दरअसल होली के दिन पार्टी खत्म होने के बाद शाम 4 बजे के आस- पास किन्नर राज कपूर से मिलने आते थे। आरके स्टूडियो में किन्नर राजकपूर के सामने रंग उड़ाते, रंग लगाते और उन्हें भी अपने साथ नचवाते। इस दौरान राज कपूर भी अपनी नई फिल्मों के गीत उन्हें सुनाते और जब किन्नर गाने को मंजूरी दे देते, उसके बाद ही राजकपूर अपनी फिल्मों में इन गानों को लेते थे।
बताया जाता है की ‘राम तेरी गंगा मैली’ के गानों में से एक गाना किन्नरों को अच्छा नहीं लगा था। इसके बाद राजकपूर ने उसी वक्त फिल्म के संगीतकार रविन्द्र जैन को बुलावा भिजवा दिया और उन्हें एक नया गीत बनाने को कहा।
रवीन्द्र जैन ने इसके बाद ही तब ‘सुन साहिबा सुन’ गाना तैयार किया था।