सत्यजीत फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिले और लंदन में इतालवी फिल्म ‘लाद्री दी बिसिक्लेत’ और ‘बाइसिकल चोर’ देखने के बाद उनका रुझान फिल्म की ओर हुआ। फिर क्या था उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा खुद को भारत के सर्वोच्च फिल्म निर्देशक के रूप में साबित किया। उनकी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ थी। उन्हें फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। सत्यजीत रे को भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है। वहीं सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार सत्यजीत को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था। वहीं इसे लेने के लिए वह खुद नहीं बल्कि ऑस्कर अवॉर्ड खुद उनके घर चलकर आया था।
सत्यजीत रे की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। इस बात का खुलासा उनकी पत्नी बिजोया अपनी बुक ‘माणिक एंड आई’ में किया था। बिजोया ने बताया कि कैसे हम दोनों 8 साल तक डेटिंग करते रहे और फिर चुपचाप शादी कर ली। इसके बाद एक योजना बनाकर दोनों परिवारों को राजी किया।