ब्लैक बिंदी नाटक: धर्म-जेंडर की दिवार को तोड़ समाज को आईना दिखाता ‘बोल नहीं पाने वाला किरदार’, ताली बजाने को मजबूर कर देते हैं एक्टिंग और डायलॉग
ब्लैक बिंदी नाटक समाज की उस सड़ी गली विचारधारा पर उभरता हुआ कलंक है जो सभ्य समाज में जीने के पैमाने निर्धारित करता है। वह समाज ,जो खुद को सभ्य बनाने में सदियों से पाखंडों, कुरीतियों को संस्कृति के नाम से सब पर थोपता आया है।
जयपुर के रवींद्र मंच में यथार्थ सोसाइटी के कलाकारों द्वारा ब्लैक बिंदी नाटक का मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन रोहिताश योगी और महबूब ने किया है। इस नाटक को अंतरराष्ट्रीय रंग युवा निर्देशक सिकंदर खान ने लिखा है और इन्हीं के मार्गदर्शन में बना भी है।
गूंगी लड़की सकीना के रोल में अपूर्वा चतुर्वेदी का शानदार अभिनय
नाटक के मुख्य किरदार थे अपूर्वा चतुर्वेदी, मो. दाऊद क़ुरैशी, सुमन सुहाग, महेश शर्मा, रितिक ललनी , राजीव बैरवा, रोहिताश योगी, ख़ुशी शर्मा, नाटक में सहायक निर्देशक थे सुमन सुहाग एवं राजीव बैरवा। लाईट संचालक महबूब व संगीत का संचालन किया जय सेनी ने। सेट डिज़ाइन किया ख़ुशी शर्मा ।वस्त्र विन्यास व रूप सज्जा रितिक ललनी द्वारा की गई। बोल नहीं पाने वाली लड़की सकीना के रोल को अपूर्वा चतुर्वेदी ने शानदार ढंग से प्ले किया है। अपने सहनदार एक्टिंग से इस रोल को दर्शकों के दिलों में जिंदा कर दिया।
ब्लैक बिंदी नाटक क्या है?
ब्लैक बिंदी नाटक समाज की उस सड़ी गली विचारधारा पर उभरता हुआ कलंक है जो सभ्य समाज में जीने के पैमाने निर्धारित करता है। वह समाज ,जो खुद को सभ्य बनाने में सदियों से पाखंडों, कुरीतियों को संस्कृति के नाम से सब पर थोपता आया है, वहां आज भी प्रेम को जिंदा रहने के लिए कई कुर्बानियां देनी पड़ती है या यूं कहें कि प्रेम का अर्थ ही स्वयं की क़ुर्बानी देना है और अगर प्रेम समलैंगिक हो तो परिवार ही जमीन पर नर्क का द्वार खोल देता है।
हमारा सभ्य समाज उस नर्क की यातनाएं तय करने लगता है। समलैंगिकता की भावना मनुष्य के मनुष्य बनने से ही है पर गुजरती सदियों ने इसे प्राकृतिक मानने से ही इनकार कर दिया। धर्मों का सहारा लेकर इंसान कि इस प्राकृति को कुचलने की भरसक कोशिश की। लोगों ने अपनी भावनाओं के बवंडर को जिस्म के किसी भयावह तहखाने में बंद कर दिया। जब कभी इस तहखाने में हलचल होती है वह इस सभ्य समाज के पैमाने में खौफ की शराब पीकर खुद को अनचाहे नशे में डुबो लेता है।
नाटक ब्लैक बिन्दी इसी सभ्य समाज पर धब्बा है और खुद को बंद तहखाने से आजाद करती है। खुद को जीने की नई उम्मीद देती है। मनुष्य को मनुष्य समझने व बंदिशों को तोड़ने में मदद करती है। खुल कर जीने की राह दिखाती है।
धर्म-जेंडर की दिवार तोड़ समाज को बदलाव का आइना दिखाता है नाटक
नाटक का मुख्य पात्र बोल नहीं सकता इसके बावजूद वह सब कुछ कह गया। नाटक दर्शकों द्वारा बहुत सराहा गया। नाटक में बहुत मार्मिक दृश्य थे जो दर्शकों को रुलाने में कामयाब रहे। दर्शकों ने नाटक के अंत में खड़े खोकर कलाकारों का अभिवादन किया। युवा निर्देशकों का सटीक निर्देशन सराहनीय है।
पाकिस्तान में इंडिया को रिप्रेजेंट को तैयार करने टीम
सिकंदर खान ने बातचीत में बताया कि ब्लैक बिन्दी नाटक बहुत कम समय में बनाया हुआ है। सिकंदर खान अभी अपने अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट में लगे हुए है। फिलहाल वह पाकिस्तान में होने वाले अपने नाटक ‘भंवरिया कालेट’ की तैयारी में लगे है। उनका मानना है कि नये कलाकारों को निर्देशन के लिये सहयोग व प्रोत्साहन की आवश्यकता है आज युवा रंगकर्मी समाज में व्याप्त कुरीतियाँ व रूढ़ियों पर बहुत ही क्रियात्मक ढंग से नाटक के माध्यम से प्रहार कर सकता है।
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