पिता ने पैदा होते ही छोड़ा अनाथ आश्रम में:
मीना कुमारी के माता-पिता का नाम इकबाल बेगम और अली बक्श था। वह अपने माता-पिता की तीसरी बेटी थीं। कहा जाता है कि जब उनका जन्म हुआ था उस उनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। यहां तक कि उनके पिता के पास डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए भी पैसे नहीं थे। इसलिए माता-पिता ने निर्णय किया की नन्हीं बच्ची को किसी मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया जाए, उन्होंने ऐसा किया भी, लेकिन बाद में मन नहीं माना तो मासूम बच्ची को कुछ ही घंटे बाद फिर से उठा लिया। बता दें कि मीना कुमारी के पिता एक पारसी थिएटर में हार्मोनियम बजाते और म्यूजिक सिखाते थे। इसके साथ ही वह उर्दू शायरी भी लिखा करते थे। उन्होंने कुछ छोटे बजट की फिल्मों में एक्टिंग भी किया। मीना कुमारी की मां उनके पिता की दूसरी बीवी थीं और वे स्टेज डांसर थीं।
इस वजह से कही जाती हैं ‘ट्रेजडी क्वीन’:
मीना कुमारी की एक्टिंग इतनी जबरदस्त थी कि उनकी फिल्मों को आज क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है। कई फिल्मों को तो आज भी देख कर आंखों में आंसू आ जाते हैं। उनको दुखियारी महिला के किरदार काफी करने को मिले। अकसर उन्हें फिल्मों में रोता देखा गया है। शायद यही कारण था कि मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा जगत की ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से पहचाना जाने लगा। उन्होंने न सिर्फ फिल्मों में दुख सहते देखा गया है। बल्कि रियल लाइफ में भी काफी दुख सहे हैं। उन्हें जन्म से लेकर मृत्यु तक उन्होंने हर पल गमों का सामना किया। शुरू से ही मीना को रिश्ते में सफलता नहीं मिली। पिता के साथ भी उनकी कभी नहीं बनी वहीं उनकी शादी भी असफल रही। इसी वजह से वो काफी ज्यादा शराब पीने लगीं और इससे उनकी सेहत लगातार बिगड़ती चली गई। आखिर 31 मार्च, 1972 को लीवर सिरोसिस के कारण उनकी मौत हो गई।
इन फिल्मों ने बनाया हिट:
मीना कुमारी की पहली फिल्म का नाम ‘फरजंद-ए-वतन’ है जो कि साल 1939 में रिलीज हुई थी। इसके बाद उन्होंने ‘वीर घटोत्कच’, ‘बैजू बावरा’, ‘परिणीता’, ‘आजाद’, ‘एक ही रास्ता’, ‘मिस मैरी’, ‘शारदा’, ‘कोहिनूर’,’दिल अपना और प्रीत पराई’ से पहचान मिली। उनकी फिल्मों के डायलॉग्स भी काफी हिट रहे हैं।