अरशद एक अच्छे परिवार से आते थे लेकिन बचपन में ही अरशद के सिर मां-बाप का साया उठ गया था, उस समय वो महज 14 साल के थे। उनके पिता का देहांत बोन कैंसर के चलते हो गया, इसके बाद 2 साल के अंदर ही उनकी मां का भी निधन हो गया। अरशद के परिवार के दो घर थे लेकिन माता- पिता के देहांत के बाद वो दोनों घर उनके किरायेदारों ने हड़प लिए। जिसके चलते अरशद और उनके भाई को एक छोटे से घर में रहना पड़ा।
अरशद की शुरुआती शिक्षा नासिक, महाराष्ट्र में हुई थी। बता दें कि अरशद ने सिर्फ दसवीं क्लास तक ही पढ़ाई की है। माता-पिता के निधन के बाद अरशद वारसी को पैसों की तंगी के चलते अपनी स्कूलिंग भी बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। स्कूल छोड़ने के बाद अरशद ने महज 17 साल की उम्र में ही सेल्समैन की नौकरी करना शुरू कर दिया था। इसमें वह घर-घर जाकर कॉस्मेटिक्स का सामान बेचा करते थे। फिर एक्टर ने फोटो लैब में काम सीखा इस दौरान उन्होंने डांस में भी दिलचस्पी दिखाई।
इसके चलते उन्होंने अकबर सामी का डांस ग्रुप जॉइन कर लिया। वहीं से उनकी किस्मत बदलनी शुरू हो गई। डांस इंडस्ट्री में काम करते-करते उन्हें साल 1987 में फिल्म ‘काश और ठिकाना’ में डांस और कोरियोग्राफर की भूमिका मिली। साल 1991 में अरशद ने डांस प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने इंडिया डांस कॉम्पिटीशन का खिताब (1991) अपने नाम किया।
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1992 में लंदन में हो रहे डांस चैंपियनशिप का हिस्सा बनने के बाद उन्हों अपना खुद का डांस स्टूडियो खोला। अरशद वारसी यहीं नहीं रुके, उनकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था। साल 1993 में रिलीज हुई फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ टाइटल ट्रेक को अरशद वारसी ने कोरियोग्राफ किया था जो दर्शकों न काफी पसंद किया।
कोरियोग्राफी में कामयाबी हासिल होने के बाद उन्हें बतौर एक्टर 1996 में फिल्म ‘तेरे-मेरे सपने’ में काम करने का मौका मिला। अरशद की किस्मत यहां भी रंग लाई और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई। सबसे बड़ी बात यह है कि इस फिल्म में मौका उन्हें जया बच्चन ने दिया था, यह फिल्म अमिताभ बच्चन के प्रोडक्शन हाउस एबीसीएल में बनाया गया था।
इस फिल्म के बाद उन्हें लगातार कई फिल्मों के ऑफर मिले, लेकिन उन्हें इंडस्ट्री में अलग पहचान फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ से मिली। 2003 में आई फिल्म आई फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ अरशद के करियर में आया एक बेहतरीन मोड़ साबित हुईं। इन फिल्मों में उनके किरदार को लोगो ने काफी पसंद किया, सर्किट की उनकी भूमिका आज भी दर्शक याद करते हैं। इसी से वो बॉलीवुड के सर्किट बन गए। आज भी अरशद अपने फैन्स और बॉलीवुड में सर्किट के नाम से मशूहर हैं।
अरशद का कॉमिक स्टाइल निर्देशक रोहित शेट्टी को बेहद पसंद आया और उन्होंने सर्किट को अपनी फिल्म गोलमाल के लिए सिलेक्ट कर लिया। गोलमाल की सभी सीरीज में अरशद को देखा गया है। साल 2013 में फिल्म ‘जॉली एलएलबी’ से भी अभिनेता को नई पहचान मिली। इस फिल्म के लिए अरशन वारसी ने खूब तारीफें बटोरी। अब तक वो 68 फिल्मों में नजर आ चुके हैं और उनका ये सफर अभी भी जारी है।