Interview: कईयों की नसीब होती हैं दर-दर की ठोकरें- अमित सियाल
कई उतार-चढ़ाव का सामना कर चुके अमित अब नसीरुद्दीन शाह स्टारर फिल्म “चार्ली के चक्कर में” में नजर आने वाले हैं
रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो। बी-टाउन में पिछले 11 वर्षों में काम कर रहे अमित सियाल कानपुर के रहने वाले हैं। ऑस्ट्रेलिया से अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के बाद वे इंडस्ट्री पहुंचे और रणदीप हुड्डा के सहयोग से उन्हें पहली फिल्म मिली। निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव का सामना कर चुके अमित अब नसीरुद्दीन शाह स्टारर फिल्म “चार्ली के चक्कर में” में नजर आने वाले हैं। इसी सिलसिले में हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से संबंधित कई बातें शेयर कीं, जिनके पेश हैं कुछ अंश-
पहले तो आप अपने बारे में विस्तार से बताइए?
मैं कानपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और वहीं से अपनी स्कूलिंग कम्पलीट की है। फिर दिल्ली से अपना कॉलेज पूरा किया। इसके बाद मैं ऑस्ट्रेलिया गया और वहां से इंटरनेशनल बिजनेस से ग्रेजुएशन किया। इसी दरम्यान मैं अभिनय भी करता रहा। फिर पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैं दिल्ली आया तो एक पुराने दोस्त से मुलाकात हो गई, जो थिएटर वगैरह किया करता था। उससे मैंने बात की तो वह राजी हो गया। अब रुपयों की जरूरत थी, जिसकी वजह से मैंने दिल्ली में ही चिकन करी का स्टॉल लगा लिया। फिर मैं अभिनय में ही बिजी हो गया। कुछ दिन बाद मेरे मित्र अभिनेता रणदीप हुड्डा का फोन आया कि मुंबई आ जाओ, यहां पर कुछ एक रोल्स हैं, जो तुम्हें मिल सकते हैं। फिर रणदीप के रिफरेंस से तनुजा चंद्रा से भेंट हुई तो मैंने उनके साथ अंग्रेजी फिल्म “होप एंड लिटिल सुगर” की, जिसमें मुझे लीड रोल दिया गया। बस, इसी तरह से सिलसिला शुरू हुआ और आज मुझे इंडस्ट्री में 11 साल हो गए हैं।
सुना है कि आप ने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को सिलवर स्क्रीन पर देखने आपने इंडस्ट्री में आने का फैसला किया?
नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है। दरअसल, उन दिनों बी-टाउन में आने वाला हर शख्स एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन जैसा ही बनने की चाहत लेकर आता था। उन दिनों यंग जनरेशन में अमित जी का बहुत के्रज हुआ करता था, कोई भी फिल्म देखकर हॉल से बाहर आता था तो उस पर 2 से 3 घंटे तक अमित जी का भी भूत सवार रहता था। बता दें कि मैं अमिताभ बच्चन तो नहीं, लेकिन इंडस्ट्री में कुछ अलग कर दिखाने की कोशिश में लगा हूं।
अपनी पहली फिल्म से आज तक का सफर बताएंगे?
(थोड़ा अलग अंदाज में…) देखिए, इंडस्ट्री का सफर सभी के लिए उतार-चढ़ाव वाला ही रहता है। यानी आज कोई भी नहीं कह सकता कि कल उसके साथ इस बी-टाउन इंडस्ट्री में क्या होने वाला है…। कभी तो मुझे सफलता मिली और कभी-कभी बहुत ज्यादा असफलता का भी मुंह देखना पड़ा। इस सफलता और असफलता के बीच मैंने काफी कुछ सीखा है, जो अब मैं अपने पर लागू कर रहा हूं और कुछ हद तक सफलता भी मिल रही है।
लीड रोल की चाहत भी होगी?
मैंने अपनी पहली फिल्म में ही लीड रोल किया था, जिसका भूत इस कदर सवार हुआ कि लीड रोल के चक्कर में मैंने इंडस्ट्री की ओर से आने वाले काफी अच्छे प्रोजेक्ट्स को छोड़ना पड़ा। फिर समझ आई कि अगर मायानगरी में रहना है तो लीड रोल के चक्कर से अच्छा है कि जो भी काम हाथ लगे, उसे पूरा करना चाहिए। इसके अलावा मेरा भी मानना है कि अगर आप काम अच्छा करते हैं तो कभी न कभी आप लोगों की नजर में जरूर आएंगे और अब मुझे इंडस्ट्री की ओर से अच्छे प्रोजेक्ट्स भी मिलने लगे हैं।
नसीरुद्दीन शाह जैसे बड़े स्टार के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मैं बताना चाहूंगा कि नसीरुद्दीन शाह के साथ पहली नहीं, बल्कि एक इंगलिश फिल्म “द कॉफीन मेकर” कर चुका हूं। वह फिल्म बनकर पूरी तैयार भी है और इसे नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है। रही बात रिलीज की तो अंग्रेजी में है और लीक से थोड़ा हटकर है, इसलिए उसे कोई टेकर नहीं मिल रहा है। उसमें मेरा काम नसीर साहब को अच्छा लगा तो उन्होंने मुझे एक नाट के लिए बुलाया। इस तरह से मैंने उनके साथ 1 से डेढ़ साल तक नाटक किया। इसी दौरान मैंने उनसे इस फिल्म में काम करने का अनुरोध किया तो वे मान गए। इसलिए वे वाकई में बहुत बड़े दरिया दिल के इंसान हैं।
चलिए, अब फिल्म के बारे में भी कुछ बता दीजिए?
फिल्म में स्ट्रगलर्स की कहानी है। आज मुंबई में कई लोग अपने-अपने सपने लेकर आते हैं, जिनमें से कुछ तो सफल हो जाते हैं और कईयों को दर-दर की ठोकरें ही नसीब होती हैं। इस तरह से मुंबई में रहने वाले हर इंसान को पैसों की जरूरत होती है तो वह कभी-कभी गलत कामों की ओर भी चला जाता है। इस फिल्म में उस गलत नजरिए को दिखाया गया है और यह भी समझाया गया है कि आप इन चीजों से कैसे बच सकते हैं… इसी के इर्द-गिर्द एक इंवेस्टिगेशन है, जो नसीर साहब कर रहे हैं।
मनीष श्रीवास्तव निर्देशित क्राइम थ्रिलर फिल्म में आपका रोल क्या है?
यह पूरी फिल्म पांच दोस्तों की ऊपर ही बनाई गई है। मैंने भी उनमें से एक हूं और मेरे कैरेक्टर का नाम सैम है। इसमें सैम बताता है कि रुपयों की वजह से दोस्ती में दरार कैसे पड़ जाती है और आपसी तालमेल में दूरियों क्यों आ जाती हैं…। सैम बांद्रा का रहने वाला है और उसके चार दोस्त होते हैं। पहले तो सभी के बीच सब कुछ ठीक चल रहा होता है, फिर अचानक ऐसे हालात बन जाते हैं कि सभी एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं।
शूटिंग के दौरान की कोई यादगार घटना?
वैसे तो कई सारी यादगार घटनाएं हैं, क्योंकि हमने बहुत ही कम बजट में और गोरिल्ला स्टाइल में यह फिल्म बनाई है, जिसे देखकर दर्शक भी तारीफ करेंगे। हां, शूटिंग के दौरान की एक घटना याद है… दरअसल, हम शूटिंग के लिए एक दोस्त के घर गए तो वहां की सोसाइटी वालों ने मना कर दिया और पुलिस को शिकायत भी कर दी। फि र हम सब वहां से निकल पड़े और दूसरे दोस्त के घर की तलाश में जुट गए।
इंडस्ट्री में आप खुद को किस मुकाम पर देखना चाहते हैं?
पहले तो मैं काफी कुछ सोचा करता था कि ये करना है और वह भी…। अब उम्र के साथ-साथ थोड़ी समझ भी आ गई है। मुझे लगता है कि पहले से बनाया गया प्लान कभी सक्सेज नहीं होता।इसलिए अब मैं सिर्फ काम पर ही कंसन्ट्रेट कर रहा हूं और इंडस्ट्री में जो भी कुछ मिलता है, बस पकड़ लेता हूं।
Hindi News / Entertainment / Bollywood / Interview: कईयों की नसीब होती हैं दर-दर की ठोकरें- अमित सियाल