घुटने सीने की ओर –
यदि गर्भस्थ शिशु की तरह घुटने सीने की तरफ मोड़कर करवट से सोते हैं तो आप योद्धा हैं। पेट के बल सोते हैं तो हालातों पर आपका नियंत्रण नहीं है। यदि आप पीठ के बल सीधे सोते हैं और इस दौरान आपकी भुजाएं सिर के आसपास घेरा बना लेती हैं तो अच्छे श्रोता हैं। आप में अच्छा मित्र बनने की खूबी है।
करवट के साथ –
जो लोग करवट लेकर सोते हैं और गर्भस्थ शिशु की तरह घुटने मोड़ लेते हैं वे आसानी से हार नहीं मानते। ये लोग फिट दिखते हैं लेकिन संवेदनशील होते हैं। इनका दिल व दिमाग खुला होता है। साइट स्लिपिंग के भी दुष्परिणाम हैं। बांहों व पैरों की नस दबने से दर्द हो सकता है। करवट लेकर सोने से एसिडिटी का प्रवाह बढ़ सकता है। ऐसे लोगों को पीठ व गर्दन पर तकिए का सपोर्ट लेना चाहिए और घुटनों के नीचे पतला तकिया दबाना चाहिए।
पेट के बल –
जो लोग पेट के बल यानी उल्टा सोते हैं और बांहें फैलाते हैं, वे समझौता परस्त इंसान होते हैं। परिस्थितियों पर उनका नियंत्रण नहीं होता। ऐसे लोग निराशा-हताशा व चिंतित मुद्रा में जागकर दिन की शुरुआत करते हैं। स्वास्थ्य के नजरिए से हमें यह समझना चाहिए कि बिस्तर मसाज टेबल नहीं है। मसाज टेबल में सांस लेने के लिए छेद होते हैं। यदि सोते समय गर्दन, रीढ़ की हड्डी की सीध में रहेगी तो सांस लेने में सुविधा होगी।
पीठ के बल –
जो लोग पीठ के बल सोते हैं और भुजाएं तानकर सीधे रखते हैं, वे जिद्दी होते हैं। हुकूमत उनका स्वभाव होता है। जिनकी गर्दन या कमर में दर्द है, उन्हें पीठ के बल सोना चाहिए। इससे रीढ़ की हड्डी और नसों पर कम दबाव पड़ता है। इसके दुष्परिणाम भी हैं। आप खर्राटे भरेंगे या फिर एसिडिटी का प्रवाह बढ़ेगा। इनसे बचने के लिए अपना सिर ऊंचा रखें यानी अतिरिक्त तकिया लगाएं।
सही तरीका –
वैसे सोने का सही तरीका बायीं ओर करवट लेकर लेटना है। इससे पेट संबंधी समस्याएं नहीं रहती हैं और आप गहरी नींद में सो पाते हैं। इस तरह से सोने से रक्तका प्रवाह बना रहता है। इससे किडनी को अपना काम करने में मदद मिलती है और पैरों व एड़ियों मेंं सूजन नहीं आती।