यह रकम प्रति कर्मचारी 70 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक होती है। इस राशि का आमतौर पर इस्तेमाल कर्मचारी घर के बड़े कार्यो में करते हैं। वहीं बड़ी संख्या में इस राशि का इस्तेमाल एसआईपी, एफडी में भी होता है। यानी कोरोना की सुस्ती इस बिग बोनांजा से पूरी तरह से खत्म हो सकती है।
एनटीपीसी दे चुका, बाकी का पैसा अक्टूबर में होगा क्रेडिट
कोल इंडिया की बिलासपुर मुख्यालय वाली एसईसीएल यूनिट ने बीते वित्तीय वर्ष में 16 हजार 700 करोड़़ का बड़ा मुनाफा कमाया है। ऐसे में यहां पर बोनस को लेकर कोई विवाद नहीं है। कोरबा, कोरिया स्थित खदानों, प्रोसेसिंग यूनिटों और दफ्तरों में कार्यरत हजारों कर्मचारियों को करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए बोनस के रूप में आएंगे। वहीं एनटीपीसी बिलासपुर, कोरबा में पीआरपी और एक्सग्रेसिया की रकम दी जा चुकी है।
बीएसपी में पिछले साल दी गई 15 हजार 500 रुपए की रकम प्रबंधन ने अनुमोदित की है, जिसे 16 हजार रुपए तक करने की कर्मचारी संगठनों की मांग जारी है। यह राशि भी अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक क्रेडिट हो जाएगी। इनके अलावा कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़ की त्रिकोण औद्योगिक इकाइयों में निजी बिजली उत्पादन कंपनियां, पावर प्लांट व सरकारी बिजली कंपनियां भी बड़ी राशि बोनस के रूप में देंगी।
राशि रियल एस्टेट से होम एप्लाइंसेज तक पर होती है खर्च
बोनस, एक्सग्रेसिया या पीआरपी के रूप में आने वाली राशि का ज्यादा इस्तेमाल बड़े कार्यों में होता है। वहीं कम बोनस वाले कर्मचारियों को मिली राशि होम एप्लाइंसेस, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफ स्टाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, बैंकिंग, एसआईपी, एफडी, पीपीएफ आदि में जाता है।
हर साल 50 करोड़ तक की हाइक
यह राशि हर साल करीब 50 करोड़ तक बढ़ती है। बीते साल छत्तीसगढ़ की कोल, बिजली, आयरन ओर, बीएसपी आदि यूनिट के जरिए करीब साढ़े 6 सौ करोड़ रुपए की राशि बोनस, पीआरपी और एक्सग्रेसिया के रूप में बांटी गई थी। यह राशि इस बार लगभग 50 करोड़ बढ़कर 7 सौ करोड़ तक पहुंच गई है।
एनएमडीसी
भारत की नवरत्न कंपिनयों में सुमार एनएमडीसी (नेशनल मिनरल्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) की वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 3 यूनिट काम कर रही हैं। बचेली, बैलाडीला आयरन ओर में फंक्शिनिंग हैं जबकि नगरनार में स्टील प्लांट निर्माणाधीन है। जगदलपुर स्थित मुख्यालय से संचालित इन यूनिटों में करीब 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं। पिछले साल प्रति कर्मचारी औसतन 73 हजार 700 बोनस बांटा गया था। यहा राशि 146 करोड़ रुपए के लगभग थी। अब इस वर्ष हर कर्मचारी के खाते में 1 लाख 25 हजार से भी ज्यादा पैसा आ सकता है। इस लिहाज से देखें तो यह राशि 250 करोड़ रुपए के लगभग होगी।
एसईसीएल
कोरिया, कोरबा में संचालित बिलासपुर सिटी मुख्यालय से दक्षिण-पूर्व कोल लिमिटेड (एसईसीएल) का संचालन होता है। इस में 15 हजार से अधिक अफसर व कर्मचारी काम करते हैं। एसईसीएल कोल इंडिया की सर्वाधिक कमाऊ यूनिटों में से एक है। इसका दायरा झारखंड तक जाता है। कोल इंडिया की एसईसीएल यूनिट ने पिछले साल 64 हजार 700 रुपए प्रति कर्मचारी अथवा अफसर औसतन बांटे थे। इस बार यह रकम 70 हजार रुपए प्रति व्यक्ति तक दी जाएगी। कोल इंडिया की इस यूनिट ने बीते साल 2019-20 के वित्तीय वर्ष में 16 हजार 700 करोड़़ रुपए का एबिडिटा हासिल किया था। इस लिहाज से इस बार यह राशि भी 160 करोड़ तक पहुंच सकती है।
एनटीपीसी
एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन) ने अपने बहुत सारे कार्य आउटसोर्स कर रखे हैं, लेकिन फिर भी यहां कोरबा और बिलासपुर में अनुमानति 10 हजार लोग सीधे काम करते हैं, जबकि रायगढ़ में भी निर्माणाधीन यूनिट में लोग काम कर रहे हैं। एनटीपीसी अपने कर्मचारियोंं को 72 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए बोनस, एक्सग्रेसिया, पीआरपी के रूप में बांट चुका है। यह राशि बाजार में आ चुकी है। पिछले साल कॉर्पोरेशन ने लगभग 70 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक प्रति कर्मचारी औसतन बांटे थे। इस लिहाज से देखें तो इस बार एनटीपीसी ने औसतन 25 हजार रुपए अधिक राशि बांटी है।
बीएसपी
बीएसपी के 16755 कर्मचारी, अधिकारी हैं। प्रबंधन ने फिलहाल 15 हजार 500 रुपए देने की घोषणा की है, लेकिन कर्मचारी संगठन, यूनियनों की तरफ से 16 हजार की मांग की जा रही है। 16 हजार पर बात बनी तो बीएसपी से 26 करोड़ 8 लाख 80 हजार रुपए बोनस, एक्सग्रेसिया के रूप में मिलेंगे। पिछले साल 17 हजार 500 कर्मचारियों को बीएसपी ने 15 हजार 500 प्रति कर्मचारी के हिसाब से 27 करोड़ 12 लाख 50 हजार रुपए बांटे थे। इनके अलावा बीएपसी अफसरों को दिया जाने वाला पीआरपी को लेकर 17 अक्टूबर को फैसला होगा। पीआरपी पाने वाले अफसरों की संख्या 3500 है। मंगलवार को कर्मचारियों को लेकर वर्चुअल बैठक हुई, लेकिन सहमति नहीं बन पाई।
सीएसईबी
छत्तीसगढ़ में छोटी-बड़ी बिजली यूनिट मिलाकर करीब 20 करोड़ से अधिक बोनस बांटती हैं। वहीं निजी क्षेत्र की इकाइयां अलग-अलग बोनस देती हैं। बीते कुछ सालों से पॉवर प्लांट उद्योग में आई मंदी के कारण इस पर विपरीत असर जरूर पड़ा है, लेकिन यह सेक्टर भी अब उबर रहा है।
यहां औसतन 10 हजार से अधिक कर्मचारी, अफसर काम करते हैं। इन्हें दिए जाने वाली सैलरी में कई पॉवर प्लांट्स एक महीने की सैलरी एक्स्ट्रा बोनस के रूप में देते हैं तो कई बार यह राशि कंपनी के परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है। सरकारी बिजली कंपनी ने अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन यहां भी बोनस की परंपरा है।
एसईसीआर
बिलासपुर मुख्यालय वाले दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे (एसईसीआर) भारतीय रेलवे का सबसे बड़ा जोन है। यह रेलवे के कुल रेवेन्यू का 11 फीसदी अकेले ही भारतीय रेलवे को देता है। यहां पर ए से लेकर डी तक श्रेणी के लगभग 16 हजार कर्मचारी, अफसर काम करते हैं। इन्हें औसतन 17 हजार न्यूनतम बोनस मिलता है। एसईसीआर का मुख्यालय बिलासपुर है।
इस साल मार्च से ही ट्रेनों का संचालन ठप है, इसिलए विभाग की हालत खराब है। लेकिन मालगाडिय़ों के जरिए रेलवे ने अच्छी आय अर्जित की है। इस लिहाज से देखें तो अभी औपचारिक रूप से कोई आदेश नहीं आया है, लेकिन बीते सालों का देखें तो यह 17 हजार रुपए न्यूनतम से शुरू होता है।