इसके परिणामस्वरूप बोर्ड परीक्षाओं में बड़ी संख्या में
छात्र फेल हो रहे हैं। शिक्षकों की भारी कमी के कारण छात्रों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिसका सीधा असर उनके भविष्य पर पड़ रहा है। शिक्षकों के नहीं होने से छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा करने में काफी समय लग रहा है।
शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वे परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों में मानसिक तनाव और चिंता बढ़ रही है। इसके बाद भी जिले के स्कूलों में खाली पदों को भरा नहीं जा रहा है।
बोर्ड में 40 प्रतिशत परीक्षार्थी हो गए थे फेल
जिलें में शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षण सत्र 2023-24 में 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षा में 40 प्रतिशत परीक्षार्थी फेल और पूरक आए थे। इसके बाद शासन स्तर पर परिणामों की समीक्षा के निर्देश भी दिए। इसमें अफसरों ने शिक्षकों की कमी के चलते समय पर कोर्स पूरा नहीं होने की भी बात स्वीकार की। इसके बाद भी जिले में व्याख्याता, सहायक शिक्षक और शिक्षकों की खाली पदों पर नियुक्ति के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
इस तरह के किया जा सकता है सुधार
सरकार को खाली पदों को भरने के लिए जल्द से जल्द शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा शासन को बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को स्थायी करने पर विचार करना चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता आ सके। इसके साथ ही शिक्षकों को नियमित रूप से प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे छात्रों को बेहतर तरीके से पढ़ा सकें। स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए कदम उठाने चाहिए। जिले में शिक्षकों के खाली पदों की जानकारी शासन को भेजी गई है। शासन स्तर से भर्ती संबंधित निर्देश जारी की जाएगी। वर्तमान में जिन स्कूलों में एकल शिक्षक हैं वहां दूसरे स्कूल जहां अधिक शिक्षक हैं वहां से शिक्षक भेजकर छात्रों को पढ़ाया जा रहा है।