चर्च ऑफ ख्राइस्ट मिशन द्वारा कुदुदंड में संचालित अलग-अलग प्राथमिक स्कूलों और शेफर स्कूल के आय-व्यय का ब्यौरा लेने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई थी। इसे संस्था ने देने से यह कहकर इंकार कर दिया था कि, यह कोई शासकीय संस्थान नहीं है। इसके अलावा इसे कोई अनुदान भी नहीं मिलता। संस्था द्वारा सूचना नहीं प्रदान करने पर सूचना आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के बाद सूचना आयोग ने संस्था को नोटिस जारी कर जानकारी नहीं देने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना किया। सूचना आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए चर्च ऑफ ख्राइस्ट ने
हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कोर्ट ने दिया यह आदेश
सुनवाई के बाद
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रस्तुत आवेदन पर कोई भी संस्था जानकारी देने के लिए उत्तरदायी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भविष्य में यदि कोई व्यक्ति अधिनियम 2005 के तहत कोई जानकारी मांगता है तो संबंधित सोसायटी सूचना देने के लिए उत्तरदायी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।
Bilaspur High Court: संस्था ने दिया यह तर्क
मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। संस्था की ओर से प्रस्तुत जवाब में कहा गया कि गैर अनुदान प्राप्त संस्थान होने के कारण आय-व्यय का लेखा-जोखा सूचना के अधिकार में नहीं दिया जा सकता। आरटीआई के तहत जानकारी मांगने वाला आवेदनकर्ता संस्था का सदस्य भी नहीं है।