रायपुर निवासी शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के भौतिक विभाग के प्रमुख डॉ. विठ्ठल कुमार अग्रवाल अपनी पत्नी सरला अग्रवाल के साथ 16 अगस्त 1994 को मिनी बस (एमकेएल 5064) से
कोरबा से चांपा जा रहे थे। रास्ते में ट्रक (एमपी 26-ए 5955) के चालक ने लापरवाहीपूर्वक बस चलाते हुए मिनी बस को टक्कर मार दी।
Bilaspur High Court: ट्रक चालक ने मिनी बस को सामने से मारी टक्कर
दुर्घटना में डॉ. अग्रवाल एवं उनकी पत्नी को गंभीर चोट आई। दोनों को गंभीर चोट आने पर चांपा के अस्पताल में प्रारंभिक उपचार के बाद बेहतर उपचार के लिए अन्य अस्पताल भेजा। उन्हें उपचार के लिए नागपुर ले जाया गया। दंपती ने उपचार में आए खर्च और क्षतिपूर्ति के लिए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में वाद प्रस्तुत किया। अधिकरण से वाद खारिज होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। याचिका में जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। दोनों पक्षों के बयान से यह स्पष्ट हुआ कि ट्रक चालक ने मिनी बस को सामने से टक्कर मार दी। बस क्षतिग्रस्त हो गई और मिनी बस में सवार लोग भी घायल हो गए। दावेदारों को गंभीर चोटें आईं। इसके बाद 16 अगस्त 1994 को ही चांपा थाने के समक्ष अपराध दर्ज किया गया।
ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया था दावा
डॉ. विठ्ठल कुमार अग्रवाल को दुर्घटना में गंभीर चोटों के आधार पर चिकित्सा व्यय, स्थायी विकलांगता के लिए दावेदारों ने धारा 166 के तहत दावा प्रस्तुत कर मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत मुआवजे की मांग की। ट्रिब्यूनल ने दोनों पक्षों के नेतृत्व में साक्ष्यों के आधार पर दावा याचिका खारिज कर दी। पीड़ितों ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि दोनों पक्षों के लिखित बयान से स्पष्ट था कि ट्रक को सामने से ठोकर मार दी, जिससे अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ। मामले में डिस्चार्ज सर्टिफिकेट, टिकट, पैथोलॉजिकल रिपोर्ट और एक्स-रे आदि के बिल से इलाज के दौरान किए गए खर्च को दर्शाया गया। अन्य चिकित्सा दस्तावेजों से पता चलता है कि उन्हें गंभीर चोटें आईं और विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया। उनकी बेहतर रिकवरी के लिए भारी भरकम खर्च करना पड़ा होगा।
हाईकोर्ट ने प्रकरण को पाया क्षतिपूर्ति योग्य
Bilaspur High Court: मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने दावेदार घायलों को लगी चोट की प्रकृति, अवधि उनका
अस्पताल में भर्ती होना आदि के आधार पर प्रकरण को क्षतिपूर्ति योग्य पाया। कोर्ट ने कहा कि उपचार के दौरान दावेदारों के साथ उनके परिजन को भी गंभीर मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। दावेदार एकमुश्त राशि प्राप्त करने के हकदार हैं।
उक्त घटना में प्रत्येक को लगी चोटों के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति और मुआवजे की राशि पर 6 प्रतिशत की दर से ब्याज देने के निर्देश दिए। दावा याचिका दायर करने की तारीख 3 दिसंबर 1996 से 1 अक्टूबर 2001 तक और 27 अप्रैल 2011 से अब तक की स्थिति में कंपनी को सालाना ब्याज देना होगा। दावेदारों को आदेश की प्रति प्राप्त करने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं।