दरअसल साइबर ठग कॉल करके किसी आपराधिक मामले में आपका मोबाइल नंबर, बैंक खाता इस्तेमाल होने की जानकारी देते हैं। इसके बाद गिरफ्तारी करने के नाम पर दबाव डालते हैं। फिर पूछताछ करने के लिए एकांत में रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान उनसे व्यक्ति जानकारियां भी लेते हैं। बैंक खाते, संपत्ति और परिवार की स्थिति के बारे में पूछताछ करते हैं। जितनी जानकारी देते जाते हैं, उतना ही वो गिरफ्तार करने या बड़ा मामला बनाने के नाम पर डराते हैं।
डिजिटल अरेस्ट होने के लिए कहते हैं।
अकेले रहने वाले पर ज्यादा टारगेट
डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर ठग अकेले रहने वालों को ज्यादा टारगेट कर रहे हैं। पूछताछ के दौरान पारिवारिक स्थिति की पूरी जानकारी ले लेते हैं। इसके बाद उन्हें पीड़ित के घर में ही कैद रहने को कहते हैं। अगर परिवार वाले हैं तो उन्हें एकांत में जाकर रहने को कहते हैं।
रायपुर में डिजिटल अरेस्ट करने के अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं।
पुलिस-कोर्ट और दस्तावेज सब असली जैसे
डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगने वाले साइबर ठग पुलिस, जज और कोर्ट रूम भी असली जैसा बनाकर रखते हैं। पहले कॉल करके डराते हैं कि आपका मोबाइल नंबर या बैंक खाता आपराधिक मामले में इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद पूछताछ के लिए वीडियो कॉल करते हैं। उसमें किसी पुलिस अधिकारी बनकर बात करते हैं। वर्दी में देखकर पीड़ित डर जाते हैं। इसके बाद पूछताछ करते हैं। गिरफ्तारी वारंट व अन्य दस्तावेज भेजते हैं। वीडियो के जरिए कोर्ट में भी पेश करते हैं। कोर्ट में उपस्थिति दिखाकर डिजिटल अरेस्ट करने का आदेश देते हैं। इससे पीड़ित को लगता ही नहीं कि उसके साथ धोखा हो रहा है।
@ टॉपिक एक्सपर्ट। अनजान नंबर वाले वीडियो कॉल न उठाएं
प्रभाकर तिवारी एसआई एवं साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि अनजान मोबाइल नंबर से वीडियो कॉल आए तो उसे बिलकुल नहीं उठाएं। पुलिस कभी भी ऑनलाइन अरेस्ट नहीं करती है। डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं है। अगर ऐसे झांसे में आ भी जाएं तो घबराए नहीं। तत्काल पुलिस या अपने परिजनों से संपर्क करना चाहिए।
साइबर क्राइम के लिए टोल फ्री नंबर 1930 में कॉल कर सकते हैं। अपराधों के विरुद्ध पत्रिका अभियान से जुड़े रहिए और सतर्क रहिए…