भेड़ पालक मृत भेड़ों को टकटकी लगाए देखता रहा। कोई इलाज नहीं सूझ रहा था। बीकानेर वेटनरी कॉलेज में ग्रामीणों ने सूचना दी, तो पशुपालन निदेशालय से टीम गठित कर गांव भेजी गई। पशु चिकित्सक उपचार करने में भी जुट गए, पर अब तक अज्ञात बीमारी का पता डॉक्टरों को भी नहीं चला है। वेटनरी टीम फिर सैंपल लेने पहुंची, लेकिन भेड़ों के मरने का सिलसिला अभी तक थमा नहीं है। गांव वाले पूरे घटनाक्रम से चिंतित हैं। ग्रामीण राधाकिशन व भागीरथ समेत अन्य ग्रामीणों ने
बीकानेर पशुपालन विभाग से समय रहते बीमारी का पता लगाकर गांव में अन्य भेड़ों का टीकाकरण करने की मांग की है, ताकि दूसरी भेड़ें काल का ग्रास न बनें।
पशु चिकित्सक नहीं है आसपास
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि बताया गांव और आसपास पशुओं के उपचार के लिए कोई पशु चिकित्सक भी उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों को पशुओं का इलाज कराने के लिए बीकानेर या अन्य स्थानों पर ले जाना पड़ता है। गांव में पशु चिकित्सक होता, तो शायद इतनी भेड़ों का अंत इस तरह से नहीं होता।
रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं
कतरियासर गांव में अज्ञात बीमारी से 80 के लगभग भेड़ें मरने की सूचना है। पशुपालन विभाग की टीम 3 दिन से उपचार में लगी हुई है। मैं खुद मौके पर गया। वेटनरी कॉलेज से टीम वहां पहुंची और सैंपल लेकर आई। दूसरे पशुओं में यह बीमारी नहीं फैले, इसके लिए रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। - डॉ कुलदीप चौधरी, कार्यवाहक संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, बीकानेर