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बीकानेर

नौ माह बीते, अब भी स्कूलों को नहीं मिली कंपोजिट स्कूल ग्रांट राशि, 500 करोड़ का आवंटन अटका

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से राजकीय विद्यालयों को सालाना बजट समय पर जारी नहीं करने से विद्यालय मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहे हैं। वित्तीय वर्ष में केवल तीन माह का समय शेष बचा है। स्कूलों को अब तक केवल एक- दो माह का बजट ही किश्तों में डाला गया है।

बीकानेरDec 22, 2024 / 12:13 am

Brijesh Singh

चालू शिक्षा सत्र के नौ माह बीत चुके हैं। हर साल स्कूलों को मिलने वाली कंपोजिट स्कूल ग्रांट राशि अब तक भी राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद से जारी नहीं की गई है। इससे स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का ढांचा चरमराने को है। इस कंपोजिट ग्रांट राशि से स्कूलों के पानी बिजली के बिल, टूट-फूट मरम्मत, स्टेशनरी तथा शौचालय सफाई आदि का भुगतान किया जाता है। समय पर ग्रांट नहीं मिलने से स्कूलों के पानी बिजली के बिल, स्टेशनरी खरीद तथा शौचालय की सफाई आदि के भुगतान भी अटके हुए हैं। गौरतलब है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों को मिलती है, जिसका कुल बजट करीब 500 करोड़ होता है।
अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल के मुताबिक, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से राजकीय विद्यालयों को सालाना बजट समय पर जारी नहीं करने से विद्यालय मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रहे हैं। वित्तीय वर्ष में केवल तीन माह का समय शेष बचा है। स्कूलों को अब तक केवल एक- दो माह का बजट ही किश्तों में डाला गया है।

यहां भी दो माह की ही किश्त जारी
पीईईओ स्कूलों में 80 हजार रुपए कंप्यूटर खरीद, पीईईओ मीटिंग व कंटीन्जेंसी के लिए आता है। इसकी भी अब तक दो माह की किश्त ही डाली गई है, जिसको विद्यालय इसलिए भी खर्च नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें असमंजस है कि उसे किस मद का माना जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह किसी भी मद के लिए पर्याप्त राशि नहीं है। ये राशि छात्र संख्या के आधार पर मिलती है। यह न्यूनतम 25 हजार से लेकर अधिकतम 1,25,000 तक होती है है।
खेल बजट भी जारी नहीं

जानकारी के मुताबिक, हर वर्ष खेल बजट के मद में करीब 100 करोड़ की राशि जारी होती है। वह भी अब तक स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से स्कूलों को जारी नहीं की गई है, जिससे विद्यालयों में खेल सामग्री क्रय नहीं की जा सकी है। वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में अधिकारियों की ओर से बजट को शीघ्र खर्च करने का दबाव बनाया जाएगा, जिससे कई विद्यालयों में बिल तो बन जाएंगे, पर सामग्री नहीं आ पाएगी या गुणवत्तापूर्ण सामग्री क्रय नहीं की जा सकेगी। वित्तीय वर्ष के अन्तिम माह मार्च में एसएनए पोर्टल व्यस्त होने के कारण समय पर बिल भुगतानभी नहीं हो पाएंगे।
डेटा के अनुसार जारी की गई है राशि

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