देवीङ्क्षसह भाटी ने शुरू में गैरमेघवाल को टिकट देने की मांग उठाई थी। इसके माध्यम से वे अर्जुनराम मेघवाल को टिकट नहीं मिले इसके लिए विरोध में उतरे। गैर मेघवाल जातियों का एक सम्मेलन भी बीकानेर में किया लेकिन पार्टी पर इसका ज्यादा असर नहीं हुआ। एेसे में जब १५ मार्च को लगभग तय हो गया कि भाजपा अर्जुनराम मेघवाल को ही बीकानेर लोकसभा से प्रत्याशी बनाएगी और इसकी घोषणा होने वाली है तो भाटी ने पार्टी पर दबाव बनाने के लिए अंतिम हथियार चलाया। उन्होंने जयपुर में भाजपा नेताओं से मुलाकात करने के बाद बीकानेर लौटकर १५ मार्च की शाम अपना इस्तीफा मीडिया के सामने लिखा और प्रदेशाध्यक्ष को मेल से भेजा।
इस्तीफे के नफे-नुकसान का कराया आंकलन भाजपा के प्रदेश और केन्द्रीय पदाधिकारियों ने देवीसिंह भाटी का इस्तीफा मिलने के बाद सबसे पहले बीकानेर लोकसभा के वोटरों की नब्ज टटोली की भाटी को रखने या नहीं रखने से क्या फायदा-नुकसान होगा। इसके बाद भाटी के इस्तीफा वापस लेने के लिए बीस दिन इंतजार किया गया। तीन दिन पहले भाटी समर्थकों के भाजपा के झंडों को लेकर प्रदर्शन और जलाने के आरोप लगने के बाद पार्टी गंभीर हो गई। इसके बाद भाटी ने कांग्रेस को वोट देने का एक बयान भी दे दिया। साथ ही गुरुवार को भाटी समर्थक और ज्यादा आक्रामक होकर भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में खलल डालने पहुंच गए। एेसे में पार्टी ने गुरुवार को ही इस्तीफा स्वीकार करने का फैसला कर लिया। इसकी घोषणा से पहले जयपुर से प्रदेश पदाधिकारी चन्द्रशेखर, लोकसभा प्रभारी दशरथ सिंह शेखावत को बीकानेर भेज दिया। शाम ७ बजे बीकानेर में होटल वृंदावन में भाजपा पदाधिकारियों की बैठक शुरू की गई, उधर जयपुर में प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने इस्तीफा स्वीकर करने की घोषणा कर दी।