करण ने बताया कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति का नया अध्याय है। डिवाइस तैयार होने के बाद स्टार्टअप भी किया गया है। इससे कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के उद्देश्य से यात्रा शुरू की है। प्रोजेक्ट का बुनियादी प्रोटोटाइप विकसित कर ली है। किसानों को आने वाली समस्याओं का समाधान यह स्टार्टअप आधुनिक तकनीक से करेगा। इसमें सबसे पहले मिट्टी को जांचने के लिए परंपरागत यंत्रों से जानकारी ली। इसके बाद इसमें जो खामियां नजर आई इस पर अध्ययन किया। जांच में समय अधिक और मिट्टी जांच की लागत अधिक आती थी। जो प्रक्रिया होती है वो भी काफी जटिल थी। नई तैयार की पोर्टेबल डिवाइस में इंफ़्रा रेड स्पक्ट्रोसकॉपी (रसायन जांच की प्रक्रिया), एबेडेड सिस्टम, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मशीन लर्निग का उपयोग किया है। इस पर करीब 20 हजार रुपए लागत आई है।
डिवाइस में सबसे पहले मिट्टी का सैपल लेकर डाला जाता है। इसके बाद मात्र एक मिनट में ही ये डिवाइस मिट्टी की जांच कर उसके स्वास्थ्य के बारें में अवगत करवा देगा। इसके बाद इसका पूरा डाटा आपके मोबाइल में आ जाएगा तथा उत्पादन बढ़ाने सबंधित सभी जानकारी भी उपलब्ध करवा देंगे। प्रोजेक्ट पर अथर्व पटेल, महेंद्र चौधरी, तरुण कंसारा, प्रकाश चौधरी, युवराज, हरी सिंह तंवर ने भी काम किया है।