भाटी का भाजपा से दूसरी बार नाता टूटा है। वर्ष 2003 में सामाजिक न्याय मंच से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी में शामिल किया गया था। भाटी वर्ष 2008 में फिर भाजपा के टिकट से विधायक चुने गए थे।
तीन बार भाजपा से विधायक
श्रीकोलायत विधानसभा क्षेत्र से भाटी 1980 से 2008 तक 7 बार विधायक चुने गए हैं। इनमें से 3 बार 1993, 1998 और 2008 में भाजपा के टिकट पर विधायक रहे। वह राज्य मंत्रिमण्डल में कई विभागों का कार्यभार संभाल चुके हैं।
बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से मेघवाल का नाम भाजपा के टिकट के लिए लगभग तय माना जा रहा है। शनिवार को दिल्ली में भाजपा की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक है। इसके बाद जिन 100 उम्मीदवारों की घोषणा होनी है, उनमें मेघवाल का नाम रुकवाने के लिए भाटी ने अंतिम हथियार इस्तीफे के रूप में चलाया है। पार्टी ने इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया है।
भाटी की पुत्रवधू पूनमकंवर श्रीकोलायत विधानसभा से चुनाव में उतरीं, तब केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम उनके पक्ष में प्रचार करने श्रीकोलायत क्षेत्र में नहीं गए। विधानसभा चुनाव पूनमकंवर हार गईं। भाटी को इसकी टीस भी है। माना जा रहा है कि एससी वर्ग के कुछ वोट पूनम को और मिलते तो वह जीत जातीं।