मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 24 जनवरी को नजीबाबाद निवासी दोनों युवकों शफीक अहमद और इमरान की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश संजीव पांडेय ने कहा कि पुलिस कोई भी ऐसे सबूत पेश नहीं पाई है जिससे यह साबित होता हो कि ये दोनों हिंसा, फायरिंग व आगजनी में शामिल थे। पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में बताया गया है कि मौके से उन्होंने .325 बुलेट बरामद की थी, जबकि मौके से कोई हथियार बरामद होने की बात पुलिस साबित नहीं कर सकी है। इसके साथ ही खुद पुलिस ने माना है कि हिंसा के दौरान किसी भी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी थी। उन्होंने कहा कि मामले में पेश किए गए सबूतों को देखते हुए मेरे विचार से परिस्थितियों को देखते हुए और अपराधों की प्रकृति के आधार पर अभियुक्तों को जमानत दी जानी चाहिए।
गौरतलब है कि बिजनौर पुलिस ने नहटौर, नजीबाबाद और नगीना क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था और कई प्राथमिकी दर्ज की थी। इस दौरान नजीबाबाद पुलिस स्टेशन में शफीक अहमद और इमरान के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हुई थी। जिसमें कहा गया कि सूचना मिली थी कि 100 से 150 लोग एनएच-74 पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए जुटे हैं। जिसकी सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने इन्हें हटाने का प्रयास किया। लेकिन भीड़ ने हत्या की धमकी दी और हाईवे पर बैठ गए। प्रदर्शन की अगुवाई शफीक और इमरान कर रहे थे। तब पुलिस ने इमरान को मौके से गिरफ्तार कर लिया था, जबकि शफीक भाग निकला था। बाद में उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
संजय पंचाल नजीबाबाद कोतवाल का कहना है कि दोनों को कोर्ट से परमानेंट बेल मिली है। इसमें पुलिस का कोई लेना देना नहीं है। मामले की सुनवाई के दौरान दोनों को कोर्ट में पेश होना होगा। सुनवाई के दौरान नहीं पहुंचने पर यदि कोर्ट द्वारा वारंट जारी किया जाता है तो उसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।