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अश्लील कल्चर को प्रमोट करता है…
दरअसल ओडिशा हाईकोर्ट ने एक मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि टिक टॉक पर नियंत्रण जरूरी है। जस्टिस एसके पणिग्रही ने कहा कि टिक टॉक अश्लील कल्चर को प्रदर्शित करता है। साथ ही यह ऐप पोर्नोग्राफी को भी बढ़ावा देता है। इस तरह के ऐप को नियंत्रित करके किशोरों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से उनको बचाया जा सकता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी हत्या के मामले में जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कि, इस केस में आरोपी मृतक की पत्नी हैं।
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चली गई है जान…
आरोपी महिला ने सह आरोपी के साथ मिलकर पति के अंतरंग और निजी वीडियो टिक टॉक पर पोस्ट किए थे। इससे आहत व्यक्ति ने बाद में आत्महत्या कर ली थी। जस्टिस पणिग्रही ने कहा कि मामले में ऐसा सामने आया है कि ऐप वीडियो के कारण निर्दोष की जान चली गई। टिक टॉक का चलन किसी को प्रताड़ित करने के लिए, आपत्तिजनक सामग्री का दुरुउपयोग करने में बढ़ रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म से ऐसे अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
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गौरतलब है कि उपरोक्त मामला एक उदाहरण मात्र है। टिक टॉक बनाते समय कईं लोगों जान जाने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 28 मई की रात राजस्थान के दौसा जिले में 15 वर्षीय छात्र विक्रम महावीर गले में गमछा डालकर फंदा लगाने की एक्टिंग करते हुए टिक टॉक वीडियो बना रहा था इसी दौरान फंदा ज्यादा कसने से उसकी मौत हो गई थी। इससे पहले उत्तरप्रदेश के वाराणसी में रामनगर थाना के वारीगढ़ही मोहल्ले के तौसीफ, रिजवान, फरदीन, मोहम्मद सैफ और वाजिदपुर सीवान का मोहम्मद रेहान खान उर्फ लकी अपने दो अन्य दोस्तों के साथ शुक्रवार को सिपहिया घाट पर गए थे। यहां टिक टॉक बनाते समय लकी का पैर घाट से फिसल गया। उसके बचाने के लिए एक एक करके गए सभी बच्चे डूब गए। इस तरह पांचों की डूबने से मौत हो गई। टिक टॉक पर पहले भी अश्लीलता फैलाने, रेप कल्चर, एसिड अटैक को प्रमोट करने और नफरत फैलाने जैसे आरोप लग चुके हैं। कई यूजर्स के एकाउंट ऐसे आरोपों के चलते बंद भी किए गए हैं।