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‘देश हित का बड़ा फैसला’
लोगों को अवसाद में डालने वाले और समय की बर्बादी करने वाले पबजी समेत इन ऐप्स के बंद किये जाने पर बड़ी संख्या में शहर के युवाओं ने सही बताते हुए कहा कि, अवसाद में डालने वाले इन ऐप से युवाओं की पीढ़ी की बड़ी बर्बादी हो रही थी। इस निर्णय पर रिसर्च स्कॉलर एवं मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य भारती के संयुक्त महामंत्री शुभम चौहान ने बताया कि, पबजी व अन्य कई ऐप बंद करना देश के करोड़ों युवाओं के हित में है। शहर ही नहीं बल्कि गांव के गांव भी इन ऐप्स के नशे में बर्बाद हो रहे थे, जो इन ऐप्स के इस्तेमाल में समय बर्बाद करने के चलते अपने जीवन तक से मतलब छोड़े बैठे थे। वो बस सुबह-शाम चौराहों पर बैठकर मोबाइल की चमचमाती स्क्रीन में व्यस्त रहते थे। इस नए नशे से इस पीड़ी की बड़ी आबादी को ग्रसित कर रही थी।
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‘वो तो टाइम पास करने का संसाधन मात्र था’
हालांकि, राजधानी भोपाल में कुछ युवा ऐसे भी हैं, जिन्हें पबजी समेत ये ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं लगा। कॉलेज के छात्र रोहित का हकहना है कि, ये तो एक तरह का टाइम पास गेम था। अब हर समय बाहर घूमना फिरना या खेलना संभव नहीं होता ऐसे में अकसर लोग टाइम पास के लिए इन ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, इससे बहुत हद तक सेहत को नुकसान भी होता है, तो सरकार के इस फैसले को गलत मानना भी दुरुस्त नहीं है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट्स की मानें तो, ऐसे ऐप खेलों की जगह नहीं ले सकते, क्योंकि खेल हमें अवसाद से बाहर निकालते हैं, शारीरिक क्षमता को बढ़ाते हैं और सामूहिकता की भावना विकसित करते हैं। जबकि, इन ऐप्स का लंबे समय इस्तेमाल करने वालों को हर चीज इससे उलट होने की अधिक संभावनाएं रहती हैं। समाजिक कार्यकर्ता अमित मिश्रा के मुताबिक, अब युवाओं की भागीदारी शैक्षणिक गतिविधियों में बढ़ सकेगी। पब्जी गेम पर प्रतिबंध से देश के युवाओं का ध्यान बेहतर रूप से केंद्रित हो सकेगा साथ ही स्वदेश में निर्मित एप को बढ़ावा मिलेगा।