तालाब का जलस्तर शुक्रवार को 1656.40 फीट पर पहुंच गया, जो डेडेलेवल से महज चार फीट ही अधिक है। इसी तरह कोलार डेम का जल स्तर रोजाना तेजी से घट रहा है। शुक्रवार को ये 443.96 मीटर पर पहुंच गया। यहां से महज पांच एमसीएम पानी ही मिल रहा है, जबकि मांग 7 एमसीएम की हो रही है। नर्मदा प्रोजेक्ट से 35 एमजीडी पानी लिया जा रहा है। बड़ा तालाब में तो फुल टैंक लेवल यानि 1666.80 पर एक फीट पर 325 एमसीएफटी पानी रहता है। यानि यदि तालाब को कटोरे की तरह देखें तो अब तले में बेहद कम पानी रह गया है और बारिश को पूरे पांच माह का समय है। मौजूदा स्थिति देखते हुए मार्च आखिर या अप्रैल मध्य तक ही तालाब से पानी लिया जा सकता है।
प्रभारी जलकार्य प्रमुख अभियंता के पद पर बैठे एआर पंवार के पास इस संकट से निपटने कोई प्लानिंग नहीं है। उनका कहना है कि अभी तो जलापूर्ति कर रहे हैं। तालाब में पानी कम हो रहा है, लेकिन हम इससे जलापूर्ति वाले क्षेत्रों को कोलार व नर्मदा से पानी देंगे। कोलार से अधिक पानी लिए जाने पर एडजस्ट कैसे व कब करेंगे? इसकी योजना भी नहीं है।
भोपाल. प्रदेश गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। पिछले साल मई में यहां के 165 बड़े जलाशयों में से 65 बांध लगभग सूखने के कगार तक पहुंच गए थे, वहीं 39 जलाशयों में उनकी क्षमता का 10 फीसदी से भी कम पानी बचा था। जबकि 2019 में गर्मी की शुरुआत के पहले जो हालात है उसको देखते हुए साफ है कि इस बार हालात इससे भी ज्यादा खराब होंगे। प्रदेश में जलसंरचनाएं लगातार दम तोड़ रही हैं, ऐसी स्थिति में प्रदेश में महाराष्ट्र की तर्ज पर जल साक्षरता संस्थान एवं हरियाणा की तरह तालाब आयोग बनाने की जरूरत है।