गुरुवार को 108 एंबुलेंस के जरिए ऐसे दो बुजुर्ग मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया, जिनके परिवार का कोई सदस्य साथ नहीं था। इनमें से एक मरीज के बेटे 650 किलोमीटर दूर रायपुर से मदद मांगी थी।
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मार्केटिंग मैनेजर 108 एंबुलेंस तरूण सिंह बताते है कि कोरोना संकट के दिनों में हमारे एंबुलेंस के क्रू मेंबर्स लगातार मरीजों की मदद में लगे हैं। हमारे पास ऐसे केस भी लगातार आ रहे हैं जिनके बुजुर्ग माता-पिता यहां अकेले रहते हैं और उनके बच्चे दूसरे राज्यों में नौकरी करते हैं। ऐसे मामलों की जानकारी मिलने पर हमारे 108 एंबुलेंस के कर्मचारी अपने परिवारजनों की तरह उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने तक साथ रहते हैं।
बेटे ने कहा, मां अकेली है, कोई मदद करो
मिनाल रेजिडेंसी में रहने वाली 73 वर्षीय शकुंतला देवी दो दिन से बीमार थीं। उनका बेटा रायपुर में रहता है। बुखार आने पर शकुंतला ने बेटे को सूचना दी तो उसने भोपाल में परिचितों से कहा। पर कोविड संक्रमण के डर से कोई आगे नहीं आया। ऐसे में बेटे ने 1075 पर फोन करके अपनी मां के बीमार होने की जानकारी देते हुए अस्पताल में भर्ती कराने का अनुरोध किया। 1075 कॉल सेंटर से 108 एंबुलेंस को मौके पर भेजा गया। अशोका गार्डन से आधे घंटे में पीपुल्स अस्पताल में भर्ती करावा दिया।
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जब तक भर्ती नहीं हुए तब तक रहे साथ
87 वर्षीय वयोवृद्ध गोविन्द तोमर भी कोविड संक्रमण से जूझ रहे थे। उनके परिचितों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 108 एंबुलेंस को फोन किया। जब एंबुलेंस का स्टाफ उनके आवास पर पहुंचा तो उन्हें मालूम चला कि वे अकेले रहते हैं और उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। एंबुलेंस के ईएमटी हेमंत पटेल और पायलेट सुखराम उन्हें दूसरी मंजिल से लेकर आए और जेपी अस्पताल में भर्ती कराया। ऐसे में अकेले रह रहे बुजुर्गों को 108 एम्बुलेंस मददगार साबित हो रही है।