लोकसभा चुनाव 2024 में कई बड़े नेताओं ने इस बार के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। इनमें कई नाम ऐसे भी हैं जो चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें चुनाव में उतार दिया, वहीं कई दिग्गज नेताओं को चुनाव से बाहर रखा है।
एमपी की धड़कनें बढ़ाने वाली सीटों में गुना सीट भी शामिल हो गई है। क्योंकि इस सीट से एक बार फिर सिंधिया परिवार का ही सदस्य चुनाव मैदान में है। भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया परंपरागत गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में है। गुना मध्यप्रदेश का ऐसा शहर है जो राजस्थान की सीमा से लगा है। गुना मालवा का द्वार भी कहा जाता है। ग्वालियर संभाग में आने के कारण यह सिंधिया राजघराने का वर्चस्व भी है। कांग्रेस आज शाम तक किसी उम्मीदवार का नाम फाइनल कर सकती है। सिंधिया के खिलाफ जो भी चुनाव लड़ेगा, वो नाम चौंकाने वाला ही होगा। इससे पहले पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत गुना-शिवपुरी सीट से चुनाव हार गए थे। तब वे कांग्रेस में थे और भाजपा के केपी यादव ने उन्हें हरा दिया था। केपीएस यादव भी कभी सिंधिया के समर्थक रह चुके हैं। लेकिन सिंधिया अब भाजपा में है और केपी यादव भी भाजपा में है। पहले अटकले लग रही थी कि सिंधिया को टिकट देने के बाद केपी यादव नाराज होकर कांग्रेस में चले जाते हैं तो वे सिंधिया को एक बार फिर टक्कर दे सकते हैं। वहीं अब यादवेंद्र सिंह यादव के चुनाव लड़ाने की अटकलें लग रही है। यादव बहुल इस क्षेत्र में कांग्रेस देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव को सिंधिया के खिलाफ मैदान में उतार सकती है। ओबीसी समुदाय के यादवेंद्र सिंह यादव अशोक नगर जिले के मुंगावली के रहने वाले हैं। यादवेंद्र के पिता देशराज दो बार लोकसभा का चुना लड़ चुके हैं और दो बार विधायक भी रहे हैं। उनके भाई जिला पंचायत सदस्य, पत्नी जनपद सदस्य और उनकी मां जनपद सदस्य जैसे पदों पर हैं। भाजपा के पूर्व नेता देशराज सिंह रामजन्म भूमि आंदोलन में शामिल हुए थे, उनके बेटे यादवेंद्र सिंह भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने के कारण कांग्रेस यादवेंद्र को भी मैदान में उतार सकती है। इस सीट पर 7 मई को मतदान होगा।
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गुना से अरुण यादव का नाम लगभग तय
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने एक बार फिर विदिशा संसदीय सीट से मैदान में उतारा है। इसलिए भी यह सीट हॉट बन गई है। मध्यप्रदेश में मामा नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान के सामने कांग्रेस को भी प्रत्याशी चुनने में काफी मशक्कत करना पड़ रही है। कांग्रेस क्षेत्र के पुराने कांग्रेस नेता को भी उतार सकती है, लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस भी को चौंका सकती है। चर्चा है मामा शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस किसी महिला को भी मैदान में उतार सकती है। भारतीय वायु सेना की पूर्व महिला अधिकारी अनुमा आचार्य विदिशा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इसके अलावा कांग्रेस के सीनियर नेता प्रताप भानु शर्मा और सिलवानी के विधायक देवेंद्र पटेल को भी विदिशा से उतारा जा सकता है। गौरतलब है कि विदिशा से 1991 से 2004 तक पांच बार शिवराज सिंह चौहान सांसद रह चुके हैं। यह सीट पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान में रमाकांत भार्गव यहां से भाजपा के सांसद हैं। इस सीट पर 7 मई को मतदान होगा।
विदिशा में कांग्रेस ने तय किया नाम
पूर्व सीएम कमलनाथ का छिंदवाड़ा हमेशा से ही हॉट सीट रहा है। देश में या प्रदेश में सरकार किसी की भी हो छिंदवाड़ा में कमलनाथ का ही राज चलता है। भाजपा की मोदी लहर के बावजूद यहां से कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ कांग्रेस के सांसद है। कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद रह चुके हैं। एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ सांसद बनी थी। कमलनाथ के बेटे दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में 29 सीटों में से एकमात्र छिंदवाड़ा ही सीट ऐसी है जहां कांग्रेस ने अपनी नाक बचाए रखी है। पिछली बार छिंदवाड़ा संसदीय सीट के भाजपा प्रत्याशी रहे आदिवासी चेहरा नत्थन शाह ने हार के अंतर को 37 हजार 536 पर ला दिया था। नकुलनाथ कम अंतर से चुनाव जीत पाए थे। इस बार भी कांग्रेस छिंदवाड़ा के साथ ही बाकी सीटों पर भी जोर आजमा रही है, वहीं भाजपा ने स्थानीय नेता विवेक साहू (बंटी) को अपना उम्मीदवार बनाया है। बंटी साहू तब चर्चाओं में थे जब उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कमलनाथ के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ा था। भाजपा ने बंटी साहू को इसलिए रिपीट किया है, क्योंकि पिछले चुनाव में बंटी ने कमलनाथ को कड़ी टक्कर दी थी। मतदान से पहले छिंदवाड़ा में कांग्रेस को कई झटके लगे हैं। कमलनाथ के कई करीबी नेता और कार्यकर्ता भाजपा में जा चुके हैं। गुरुवार 21 मार्च को कमलनाथ के बेहद करीबी नेता दीपक सक्सेना भी भाजपा ज्वाइन करने वाले हैं। कुछ समय पहले कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के भी भाजपा में जाने की अटकलों का दौर चला था। हालांकि अब कमलनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे या उनके बेटे भाजपा में नहीं जा रहे हैं। यहां 19 अप्रैल को मतदान होगा।
भाजपा का गढ़ मानी जाने वाले इंदौर संसदीय सीट भी मध्यप्रदेश की सबसे हॉट सीटों में शामिल हैं। 1984 के बाद से यहां भाजपा का कब्जा है। सुमित्रा महाजन यहां से कई बार सांसद रही और वर्तमान में शंकर लालवानी सांसद है। भाजपा ने इन्हें एक बार फिर रिपीट किया है। शिवराज खेमे के माने जाने वाले शंकर लालवानी ने पिछली बार के कांग्रेस उम्मीदवार को 5 लाख 47 हजार वोटों के अंतर से हराया था। बीजेपी की गढ़ में कांग्रेस को यहां से उम्मीदवार उतारने में बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को भई पार्टी चुनाव लड़ने का आदेश दे सकती है। इसके अलावा अक्षय बम पर भी कांग्रेस भरोसा जता सकती है। पटवारी पिछले चुनाव में दावेदार थे, तब पटवारी सरकार में मंत्री बन गए थे। हालांकि अब प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते, लेकिन अपने पसंद के उम्मीदवार के लिए प्रयास कर रहे हैं। जो भी हो इंदौर संसदीय सीट के लिए कांग्रेस आज-कल में अपना उम्मीदवार घोषित कर देगी। इस सीट पर 13 मई को मतदान होगा।
मध्यप्रदेश की खजुराहो संसदीय सीट इसलिए भी हॉट बन गई है, क्योंकि यहां से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चुनाव मैदान में है। भाजपा ने इन्हें रिपीट किया है। खास बात यह है कि 29 लोकसभा सीटों में से एक खजुराहो सीट ऐसी होगी, जहां भाजपा की लड़ाई कांग्रेस से नहीं होगी। यह लड़ाई अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) से होगी। आज सपा अपना उम्मीदवार घोषित करने वाली है। गौरतलब है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुए समझौते के तहत खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दी गई है इसलिए कांग्रेस यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतार रही है। सपा के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में पिछले लोकसभा चुनाव में वीडी शर्मा चार लाख 92 हजार वोटों से जीते थे, वीडी शर्मा ने महारानी कविता सिहं को हराया था। तीसरे नंबर पर सपा के उम्मीदवार वीर सिंह 40 हजार 77 वोट हासिल कर पाए थे। खजुराहो लोकसबा क्षेत्र में चंदला, राजनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजयराघवगढ़,मुड़वारा और बोहरीबंद सहित 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इस सीट पर 26 अप्रैल को मतदान होगा।