scriptकोरोना की तीसरी लहर में बचपन को बचाने की चुनौती | The challenge of saving childhood in the third wave of Corona | Patrika News
भोपाल

कोरोना की तीसरी लहर में बचपन को बचाने की चुनौती

प्रदेश में 11 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित
कुपोषण वाले जिलों में फैला कोरोनामिशन – 4डी से सुरक्षित होगा बचपन

भोपालMay 17, 2021 / 06:12 pm

Arun Tiwari

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भोपाल : कोरोना की दूसरी लहर तबाही मचा रही है और वैज्ञानिक अभी तीसरी लहर की बात कर रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना के निशाने पर पहली लहर में बुजुर्ग, दूसरी में नौजवान तो तीसरी लहर में बच्चे रहेंगे। प्रदेश सरकार के लिए तीसरी लहर से निपटकर बचपन को बचाना बड़ी चुनौती है। जनगणना 2011 के आधार पर प्रदेश में करीब ढाई करोड़ से ज्यादा बच्चे 18 साल से कम उम्र के हैं। जानकारी के अनुसार कोरोना से अब तक करीब .34 बच्चे प्रभावित हुए हैं। सरकार के सामने प्रदेश के बच्चों को सुरक्षित रखने के साथ उन बच्चों की जिंदगी बचाना बड़ा लक्ष्य है जो पहले से ही कुपोषण के शिकार हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 11 लाख से ज्यादा कुपोषित बच्चे हैं। जिनमें एक लाख से ज्यादा तो अतिकुपोषित हैं। चिंता इस बात की है कि कोरोना इस बार गांव-गांव तक पहुंच गया है। प्रदेश के कुपोषण वाले जिले हैँ वहां भी कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार इस चिंता से वाकिफ है और इसके लिए वो तैयारी भी कर रही है। बचपन को बचाने के लिए सरकार मिशन-4डी पर काम कर रही है।

प्रदेश में कुपोषण की स्थिति :
– कुल कुपोषित बच्चे – 42 फीसदी
– कुपोषित बच्चों की संख्या – 996483
– अति कुपोषित बच्चों की संख्या – 114914
– कुपोषित बच्चों की कुल संख्या – 1111397

ज्यादा कुपोषण वाले टॉप 5 जिलों में संक्रमण :
– बड़वानी – 7751
– श्योपुर – 3275
– अलीराजपुर – 3298
– मुरैना – 7207
– गुना – 4523

कम कुपोषण वाले टॉप 5 जिलों में संक्रमण :
– सागर – 13192
– इंदौर – 125153
– मंदसौर – 7012
– उज्जैन – 15178
– नरसिंहपुर – 9470

सरकार का मिशन 4डी :
बचपन को बचाने के लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है। कुपोषित बच्चों के लिए सरकार ने 4 डी कार्यक्रम शुरु किया है। 4 डी का मतलब डिफेक्ट एट बर्थ, डेफीशिएन्सीज, चाइल्डहुड डिजीज, डेपलपमेंटल डिले और डिएबीलिटीज। यानी बच्चे के जन्म के समय किसी अंग में डिफेक्ट, कमजोरी, बचपन की बीमारी, विकास में देरी और अपंगता पर इस मिशन के जरिए फोकस किया जाएगा। इस मिशन वे सभी बच्चे आएंगे जो कुपोषण के कारण कम वजन के हैं। प्रदेश के सभी 313 ब्लॉक में मोबाइल हेल्थ टीम का गठन किया गया है। शहरी क्षेत्रों में 120 और ग्रामीण क्षेत्रों में 580 मोबाइल हेल्थ टीम काम कर रही हैं। हर टीम में दो डॉक्टर, एक फॉर्मासिस्ट और एक एएनएम है। माइक्रोप्लान के आधार पर रोजाना सौ से ज्यादा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा कुपोषण के लिए एकीकृत प्रबंधन रणनीति के तहत विशेष पोषण और देखभाल से बच्चों को सामान्य पोषण स्थिति में लाया जा रहा है। बच्चों को पुनर्वास केंद्रों में भी ले जाया जा रहा है।

बच्चों पर हो सरकार का फोकस :
कुपोषण पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन कहते हैं कि इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार को गंभीर प्रयास करने होंगे। दो साल के लिए पोषण आहार कार्यक्रम को सभी बच्चों के लिए संपूर्ण पोषण आहार कार्यक्रम बनाना होगा ताकि बच्चों में इम्युनिटी बढ़ सके। उपस्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात करना होगा जो तत्काल इलाज मुहैया करा सकें। कुपोषित बच्चों के परिवारों की आर्थिक रुप से मदद करनी होगी। एनआरसी की बुरी हालत है। सरकार को स्वास्थ्य सिस्टम को मजबूत करना होगा।

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