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भोपाल

कहीं सफेद साड़ी में बेटी को करते हैं विदा, तो कहीं मवेशियों के साथ जंगल में रखते है मौन व्रत

Tribal Culture : जानिए आदिवासी संस्कृति की अनोखी परंपरा…कहीं सफेद साड़ी में करते हैं बेटी की विदाई, तो कहीं मवेशियों के साथ जंगल में रखते है मौन व्रत…

भोपालNov 15, 2024 / 11:43 am

Avantika Pandey

trible culture
Tribal Culture : पीढिय़ों से प्रकृति की पूजा करते आए आदिवासी समुदाय आज भी अपनी प्राचीन परंपराओं को जीवंत रखे हुए हैं। समाज में प्रकृति और परंपरा का अद्भुत संगम है। आदिवासी समाज न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखता है, बल्कि प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति अपनी श्रद्धा और संरक्षण के प्रण को भी दृढ़ता से निभाता है। आदिवासी वर्ग के किसी समाज में नारीशक्ति को प्राथमिकता दी जाती है तो कहीं प्रकृति व वन्यजीव सबसे पहले पूजे जाते हैं। जानिए आदिवासी(Tribal Culture ) संस्कृति की अनोखी परंपरा…
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मवेशियों के प्रति सम्मान

गोड़ और बैगा समुदाय(Tribal Culture) में दीपावली के बाद मौनी व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन युवाओं का जोड़ा बनाया जाता है जो मवेशियों के साथ जंगल में दिनभर मौन व्रत रखते हैं। शाम को पूरा समुदाय एकत्रित होता है और मवेशियों के नीचे से सात बार निकलते हैं। ये मवेशियों का दर्द समझने के लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर मवेशियों के साथ रहने के बाद शाम को बिना हाथ लगाए भोजन करते हैं।
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सफेद साड़ी में बेटी को करते हैं विदा

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भीमडोंगरी, रामनगर चौगान क्षेत्र के आदिवासियों की अलग परंपरा(Tribal Culture) है। शांती का प्रतीक मानते हुए यहां बेटी की शादी के बाद माता- पिता सफेद साड़ी में विदा करते हैं। हर धार्मिक कार्यक्रम में सफेद वस्त्र को प्राथमिकता दी जाती है। इस गांव में शादी के बाद लडक़ी को सफेद कपड़ों में विदा करने की परंपरा है। इतना ही नहीं शादी में शामिल होने वाले सभी लोग सफेद लिबास में नजर आते है। सभी धार्मिक कार्यक्रमोंं में भी आदिवासी समाज के लोग सफेद कपड़े को महत्व देते हैं।

दीपोत्सव में अनाज को पहला दीप

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बैगा समाज में इस दिन धान फसल का पहला अनाज चढ़ाने की परंपरा(Tribal Culture) है, जिसे ग्रामीण नवाखाई भी कहते हैं। पूर्वजों की पूजा अर्चना के बाद बैगा परिवार सबसे पहला दीप अनाज रखने वाले स्थान पर जलाते हैं। आदिवासी समाज की अपनी अलग मान्यताएं हैं, जहां सूर्योदय से पहले परिवार के सदस्य पूजा अर्चना करते हैं और फसल का पहला अनाज देवी-देवताओं को अर्पित करते हैं।

होली में प्रकृति संरक्षण व नारीशक्ति का विशेष स्थान

आदिवासी समाज की एक और महत्वपूर्ण परंपरा(Tribal Culture) है, जिसमें होली के समय पेड़-पौधों की पूजा कर उनके संरक्षण का वचन लिया जाता है। इसके साथ ही नारीशक्ति को सम्मान देने के उद्देश्य से विशेष रस्में निभाई जाती हैं। होली में डाल काटने से पहले सेमर के पेड़ को न्योता दिया जाता है और पूजा की जाती है।

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