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पारे का अप एंड डाउन कर रहा केमिकल लोचा

बढ़े सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर ‘मेनिया’ के मरीज बढ़े

भोपालJan 03, 2018 / 10:37 am

pankaj shrivastava

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भोपाल। एक कंपनी के मैनेजर अंकित (परिवर्तित नाम) के व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगता है। वो कभी अपनी कंपनी को खरीदने की बात करते हैं, तो कभी अचानक पैसे कमाने की योजनाएं बनाते हैं। शुरुआत में लोगों को यह सब सामान्य लगा, लेकिन एक-दो दिन में स्थिति गंभीर हो गई। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि अंकित मौसम में हुए परिवर्तनों के कारण सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर ‘मेनिया’ का शिकार हो गए हैं।
दरअसल, मौसम में बदलाव के कारण लोगों में मेनिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हमीदिया अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में भी हर रोज मेनिया के आठ से दस मरीज पहुंच रहे हैं। हमीदिया अस्पताल के मनोचिकित्क डॉ. आनएन साहू के मुताबिक अकसर बातचीत के दौरान व्यक्ति के स्वभाव में अचानक बदलाव आने से वह बढ़ा-चढ़ाकर बात करने लगता और बेवजह गुस्सा करता है। इस दिक्कत को सामान्य दवाओं से दूर किया जा सकता है।
– हर रोज आधा दर्जन मरीज

स्थिति यह है कि अस्पतालों की मनोचिकित्सा ओपीडी में हर रोज आधा दर्जन मरीज पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ साल पहले तक लोग इसे आदत मानकर छोड़ देते थे। हालांकि, कुछ लोग मनोचिकित्सक से मिलकर बीमारी का समाधान ढूंढ रहे हैं।
– दिमाग में हो रही यह दिक्कत

मौसम के बदलाव से दिमाग में मौजूद रासायनिक तत्व सिरोटोनिन व नोरेपीनेफ्रीन में गड़बड़ी होने लगती है। इसे सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर भी कहते हैं। कई बार मौसम के बदलाव से पीनियल ग्रंथी से निर्मित मेलाटोनिन हार्मोन या तो बढ़ जाता है या फिर इसकी असामान्यता मूड डिसऑर्डर का कारण बनती है। गर्मी की तुलना में सर्दी में इसके मामले ज्यादा हैं। ऐसे में आराम व काम के बीच बढ़ता तनाव डिप्रेशन का रूप लेकर खत्म होते-होते व्यक्ति को मेनिया का रोगी बना देता है।
– बुखार और बीपी के मरीज भी बढ़े

पारा अचानक गिरने से लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई है। अस्पतालों में मेनिया के अलावा बुखार, वायरल, गले के संक्रमण के मरीजों की संख्या भी बढऩे लगी है। हमीदिया और जेपी अस्पताल में आने वाले मरीजों में 60 फीसदी रोगी मौसम से पीडि़त पहुंच रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू…

इसे चिकित्सकीय भाषा में सीजनल डिफेक्टिव डिस्ऑर्डर कहते हैं। यह गर्मियों, बरसात और सर्दियों की शुरुआत में ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। इन मौसम के शुरू होते ही कुछ लोगों को डिप्रेशन और मेनिया जैसी बीमारी घेर लेती है। इसमें विचारों व व्यवहार में स्वयं का नियंत्रण कम हो जाता है जिससे उसकी इच्छा हर किसी से बात करने की व डींगे हांकने की होती है। एेसे रोगी बड़ी बड़ी बातें करना जैसे राष्ट्रपति भवन को खरीदने जैसी बातें तक करते हैं। स्थिति गंभीर होने पर मरीज कभी कभार एक्सीडेंट, मारपीट, झगड़ा, हिंसा, घर से भागने की प्रवृत्ति से गुजरता है।
– डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
यह लक्षण दिखें तो रहें सचेत

– अगर कोई व्यक्ति क्षमता से अधिक खर्च कर रहा हो
– बात-बात पर शेरो-शायरी

-बात-बात में बड़ी-बड़ी डींगें हांकना
– अकारण घमंड जताना और बेमतलब नई-नई योजनाएं बनाना
– नए व रंग-बिरंगे कपड़ों के प्रति आकर्षित होना
– अचानक खुश होना या नाराज हो जाना

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