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…तो मनमानी वसूली जाएगी फीस
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा की जा रही लेटलतीफी का भविष्य में असर विद्यार्थियों पर भी पड़ सकता है। दरअसल, विद्यार्थियों को कितनी फीस जमा करनी है यह उन्हें मालूम नहीं है। ऐसे में विश्वविद्यालयों को भी अपने अनुसार फीस लेने का मौका खुद आयोग दे दिया है। वहीं आयोग के द्वारा स्कॉलरशिप की लॉकिंग नहीं की गई है। आयोग की लापरवाही के निजी विश्वविद्यालयों में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की स्कॉलरशिप अटक सकती है।
बीच में बदली गई जिम्मेदारी
पूर्व में यह जिम्मेदारी प्रशासनिक सदस्य डॉ. विश्वास चौहान को सौंपी थी। बताया गया कि यह कुछ खास नहीं कर सके। इसके बाद इनसे यह जिम्मेदारी वापस लेकर सचिव डॉ. केपी साहू को सौंप दी गई। लेकिन अभी भी आदेश जारी नहीं हो सके हैं। इस मामले में प्रशासनिक सदस्य डॉ. विश्वास चौहान का कहना है कि फीस के रिव्यू की कोई जानकारी नहीं है। यह काम वह नहीं देख रहे हैं। वहीं सचिव डॉ. केपी साहू ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार किया।
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पिछले सत्र के मामले अभी तक नहीं निपटे
नया सत्र शुरू होने वाला है। लेकिन आयोग अभी तक पिछले सत्र के मामलों को नहीं निपटा सका है। इसमें छात्रों से जुड़ा सबसे अहम मुद्दा फीस का है। इसको लेकर भी आयोग गंभीर नहीं है। इस बार आयोग का पूरा कोरम है। इसके बाद भी हालात ऐसे हैं कि पिछले सत्र के प्रस्तावों के मामले बैठक कुछ दिन पहले ही हुई है। लेकिन अब कोरोना का बहाना बनाने लगे हैं। आयोग की कार्यप्रणाली के चलते पिछले सत्र में शुरू किए गए कोर्स व सीट संख्या में होने वाली बढ़ोतरी के लिए गए निरीक्षण के बाद आदेश जारी नहीं हो सके हैं।
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निजी विवि विनियामक आयोग अध्यक्ष प्रो. भरत शरण सिंह ने बताया कि कोई काम पैंडिंग नहीं है। सदस्यों और सचिव के बीच भी कोई दिक्कत नहीं है। फीस रिव्यू की बैठक हो चुकी है। जल्द ही आदेश जारी होना शुरू हो जाएंगे।