इस मंदिर के निर्माण में लोहे के एक कील का भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस परिसर में बनने वाला मुख्य मंदिर या अन्य इमारतों में कहीं पर भी कोना नहीं बनाया गया है। हर आकृति गोल आकार की होगी। 25 फीट नीचे दी गई नींव को पत्थर और कंक्रीट से तैयार किया गया है।
12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर का भूमिपूजन किया था। करीब छह महीने में मंदिर का 25 फीसदी काम हो गया है। यह मंदिर 2025 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इस विशाल मंदिर का निर्माण 11 एकड़ में किया जा रहा है। खास
बात यह है की मंदिर के अलावा यहां भक्त निवास, लाइब्रेरी, कैफेटेरिया और म्यूजियम का भी निर्माण किया जा रहा है।
मंदिर के गर्भगृह को तीन भागों में बांटा गया है, जिसके मुख्य मंडप की ऊंचाई 66 फीट होगा। संत रविदास के जीवन का सार प्रदर्शित करने के लिए अंदर चार गैलरी भी बनाई जा रही हैं, पहली गैलरी में संत रविदास के महान जीवन का दर्शन होगा। दूसरी गैलरी में भक्ति और निर्गुण पंथ में योगदान को दिखाया जाएगा। तीसरी गैलरी में रविदास पंथ और चौथी गैलरी में साहित्यिक को दिखाया जाएगा। यहां पर संत रविदास के नाम से जलकुंड भी बनाया जा रहा है।