गांवों में पक्की सडक़ ग्रामीणों के कई बार मांगो को लेकर मिलती है, लेकिन वह भी भष्ट्राचार की वजह से जल्दी ही दम तोड़ देती है। आइसर से लेकर परवलिया तक बनाई गई सडक़ के निर्माण के बाद ग्रामीणों को इसकी सुविधा मिल भी नहीं पायी और पहले ही सडक़ ने दम तोड़ दिया।
एक दर्जन गांव को मिलता फायदा
क्षेत्रीय पार्षद अशोक मारण की शिकायत के बाद ठेकेदार द्वारा पुन: सडक़ की मरम्मत का कार्य प्रारंभ किया गया है। जानकारी के मुताबिक यह सडक़ लगभग 5 करोड़ की लागत से बनाई गई थी। जो परवलिया, शाहपूर, नीलबड़, सहित एक दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को सुविधा प्रदान करती है।
– खराब गुणवत्ता से सडक़ का निर्माण किया गया है। मैंने इसके लिए अधिकारियों को भी अवगत करया है। ठेकेदार द्वारा सडक़ की मरम्मत की जा रही है।
अशोक मारण, वार्ड-3 पार्षद