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माफ करना बच्चों, आपकी पीड़ा समझने में शायद देर कर दी, पढ़ें पूरी खबर

MP News: बच्चों के संरक्षण के लिए 37 जिलों में बाल कल्याण समितियां खाली, कहीं अध्यक्ष नहीं तो कहीं सदस्य, दूसरे जिलों में हो रही सुनवाई…

भोपालNov 23, 2024 / 12:44 pm

Sanjana Kumar

MP News
MP News: भगवान उपाध्याय. यह बच्चों की खबर है… शायद इससे राजनेताओं का वास्ता नहीं। प्रदेश के 37 जिलों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनके संरक्षण को बनाई जाने वाली बाल कल्याण समितियां (सीडब्ल्यूसी) अस्तित्व में ही नहीं हैं। 14 जिलों में ही ये समितियां काम कर रही हैं। समितियां न होने से जरूरतमंद बच्चों के मामलों की समय पर सुनवाई नहीं हो पा रही है।
मध्य प्रदेश में ऐसे बच्चों से जुड़े 2000 से ज्यादा मामले लंबित हैं। विवाद, अपराध या मुसीबत में फंसे बच्चों की मदद के लिए जिलों में बाल कल्याण समितियां बनाई जाती हैं। ये महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन काम करती हैं।

जारी है भर्ती प्रक्रिया

महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों के अनुसार सभी समितियों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमेटी बनी है। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव के कारण इन नियुक्तियों में देरी हुई है, लेकिन अब नियुक्तियों के लिए शेड्यूल बन गया। सब कुछ ठीक रहा तो 26 से 29 नवंबर के बीच 17 जिलों में और उसके बाद 9 दिसंबर तक शेष 20 जिलों में चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

कई जिलों का प्रभार दूसरे जिलों पर

जिन जिलों में समितियों का कार्यकाल खत्म हो चुका, वहां के मामलों की सुनवाई दूसरे जिलों में करवाई जा रही है। जैसे विदिशा में समिति का कार्यकाल खत्म हुआ तो, वहां के केस की सुनवाई भोपाल में होने लगी। भोपाल में सिर्फ एक अध्यक्ष और एक सदस्य बचे हैं।

बच्चों को दूसरे जिलों में ले जाना न्याय संगत नहीं

विदिशा के मामले सागर भेजे जा रहे हैं। सागर पर पहले से अधिक मामलों का दबाव होने से सुनवाई ऑनलाइन की जा रही है। हालांकि सीडब्ल्यूसी ग्वालियर के पूर्व अध्यक्ष कमलकुमार दीक्षित बताते हैं कि ऑनलाइन सुनवाई में कोई हर्ज नहीं है, पर कई बार ऐसे बच्चों को समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक जिले से दूसरे जिलों में ले जाया जाता है, जो न्याय संगत नहीं है।

कौन पात्र

समिति में बाल मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा, कानून, सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मानव स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव विकास और विकलांग बच्चों के कल्याण से जुड़े ऐसे विशेषज्ञों को नियुक्त किया जाता है, जिन्हें संबंधित क्षेत्र में 7 वर्ष तक कार्य करने का अनुभव हो। इसमें सिर्फ अशासकीय व्यक्ति का ही चयन किया जाता है। उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।

कौन अपात्र

ऐसे व्यक्ति जिन पर मानव अधिकारों या बाल अधिकारों के हनन का आरोप हो, ऐसे किसी अपराध में दोषी पाया गया हो, किसी सरकारी या अर्द्ध सरकारी विभाग से नौकरी से हटाया गया हो, बाल दुर्व्यवहार का आरोपी हो या विदेश से आर्थिक सहायता प्राप्त किसी संस्था से जुड़ा हो, समिति के अध्यक्ष या सदस्य नहीं बन सकते।
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बाल कल्याण समितियों में खाली पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। सारे पदों पर 10 जनवरी तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

-सूफिया फारूकी वली, आयुक्त, महिला बाल विकास

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