स्पेस वैज्ञानिकों की मानें तो धूमकेतुओं के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्कापिंड के नाम से जाना जाता है। जब ये गुरुत्वाकर्षण बल के चलते तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरते हैं तो ये जल जाते हैं। इन्हीं चमकती लपटों के चलते ये प्रकार की बारिश का रूप धारण कर लेती है, जिसे जेमिनीड्स उल्कापात कहा जाता है।
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आज रात जेमिनिड मेटियोर का पीक
इस साल, जेमिनीड्स उल्कापात बौछार 14 और 15 दिसंबर की रात को दिखाई देंगे। जबकि इसका पीक 14 दिसंबर की रात को होगा। आज रात लगभग हर घंटे के भीतर इसे खुली आंखों से बिना किसी उपकरण के ही देखा जा सकता है। इस उल्कापात को या यूं कहें कि तारों की बारिश को साल की सबसे लुभावनी उल्का वर्षा में से एक माना जाता है। इन्हें जेमिनिड्स कहा जाता है क्योंकि वे जेमिनी तारामंडल से उत्पन्न हुए प्रतीत होते हैं।
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इस समय देख सकेंगे तारों की बारिश
-जेमिनिड्स यूनीक हैं क्योंकि वे अन्य उल्काओं से अलग, हरे रंग के साथ दिखाई देते हैं।
-इस साल, 14 दिसंबर की रात को, आकाश में एक समय पर प्रति घंटे 30-40 उल्काएं दिखाई देंगी।
-भारत में लोग भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे से सुबह 7:30 बजे तक तारों की इस अनोखी बारिश को देख सकते हैं।
-इस बारिश को बेहतर रूप से देखने के लिए, आपको एक खुले मैदान में जाना चाहिए। क्योंकि ये नजारा सबसे बेहतर उस स्थान से दिखाई देगा, जहां प्रदूषण स्तर कम होगा। यानी जितना अंधेरा होगा, उल्कापात का दृश्य उतना ही साफ दिखाई देगा।