प्रदेश में कुल 827 वन ग्राम बचे थे। इनमें से 792 को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किया जा चुका है। शेष 35 वन ग्रामों के वीरान होने, विस्थापित होने या डूब क्षेत्र में होने से इन्हें राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने की जरूरत ही नहीं रही। सभी 792 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित करने के लिए गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
यह भी पढ़ें: एमपी में बंद हो गईं बसें, कई जिलों में आवागमन ठप, जानिए कब तक थमे रहेंगे पहिए प्रदेश के राजस्व विभाग ने अब इन गांवों के राजस्व नक्शा बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। भू-अभिलेख और नक्शा पूरे हो जाने के बाद ग्रामीणों को बड़ी सहूलियत होगी। यहां आंगनवाड़ी और स्कूल भवन स्वीकृत हो सकेंगे, स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। बिजली, पानी, सड़क आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में फसल बीमा योजना का लाभ भी मिलेगा।
राजस्व ग्राम बन जाने से घने जंगल में बसे इन गांवों में में जमीन का बंटवारा और नामांतरण होने के साथ फसलों की गिरदावरी भी हो सकेगी। ग्राम सभा के माध्यम से वनवासियों के कल्याण के लिए कार्य का अवसर भी मिलेगा।
कहां कितने गांव बने राजस्व ग्राम
बैतूल जिले के 91 वन ग्राम, डिंडौरी के 86, मंडला के 75, खरगौन के 65, बड़वानी के 64, खंडवा के 51, सीहोर के 49, छिंदवाड़ा के 48, बालाघाट के 46, हरदा के 42, बुरहानपुर के 37, सिवनी के 28, नर्मदापुरम के 24 वन ग्राम अब राजस्व ग्राम बन गए हैं। इसके साथ ही भोपाल के 14, धार के 13, देवास के 12, सिंगरौली के 11, नरसिंहपुर के 10, रायसेन के 7, टीकमगढ़ एवं जबलपुर के 5-5, सागर के 4 गांवों के अलावा विदिशा, राजगढ़, इंदौर, कटनी और गुना के 1-1 गांव भी राजस्व ग्राम बन गए हैं।