कोटरा निवासी उपभोक्ता जया श्रीवास्तव थर्ड AC में अपने परिवार के साथ भोपाल से जालंधर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में उनका पर्स चोरी हो गया। इसकी सूचना उन्होंने ट्रेन में टीटी को दी और जीआरपी जालंधर में एफआईआर दर्ज करवाई। लेकिन, यात्री का सामान नहीं मिला। पर्स में लगभग 40 हजार का सामान था। इससे पहले भी यात्रा के दौरान परिवादी ने रिजर्व कोच में अनावश्यक लोगों की आवाजाही की शिकायत अटेंडर और टीटी से करी थीं, लेकिन उन्हें अनसुना कर दिया और कुछ समय पश्चात ही सामान चोरी हो गया।
उपभोक्ता आयोग ने इन बातों के आधार पर यात्री के पक्ष में सुनाया फैसला
जब मामला उपभोक्ता आयोग पहुंचा तो रेलवे ने तर्क दिया कि, यात्री का सामान उनकी स्वयं की जिम्मेदारी है। सिर्फ लगेजवान में जमा किए गए सामान की सुरक्षा के लिए रेलवे जिम्मेदार है। इसपर परिवादी ने नई दिल्ली के राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में हुए यनियन ऑफ इण्डिया और अन्य विरूद्ध अंजना सिंह चौहान IV (2014) CPJ 469 (NC) मामले की प्रति पेश की। इसके मुताबिक, यात्रा के दौरान अगर अनाधिकृत व्यक्ति प्रवेश करता है, तो उसे रोकने की टीटी की जिम्मेदारी होती है। फिर रेलवे ने एक अन्य केस का हवाला देते हुए यह सिद्ध करने की कोशिश की कि, अपनी जिम्मेदारी पर ले जा रहे यात्री के सामान का रेलवे उत्तरदायी नहीं है। लेकिन, दोनों पक्षों की सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने यात्री के पक्ष में फैसला सुनाया।