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भोपाल

Tokyo Paralympics बचपन से ही दोनों पैर खराब पर हाथों से दिखाया कमाल, फाइनल में पहुंचीं एमपी की प्राची यादव

मध्यप्रदेश की प्राची की टोक्यो पैरालंपिक में शुरुआत ही बहुत अच्छी रही है।

भोपालSep 03, 2021 / 09:54 am

deepak deewan

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भोपाल. टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय खिलाडियों का शानदार प्रदर्शन जारी है. शुक्रवार को कैनो स्प्रिंट में प्राची यादव फाइनल में पहुंच गईं. मध्यप्रदेश की प्राची की टोक्यो पैरालंपिक में शुरुआत ही बहुत अच्छी रही है। शुक्रवार को हुए सेमीफाइनल मुकाबले में प्राची यादव ने चौथे स्थान पर रहकर फाइनल के लिए जगह बनाई है। इससे उनसे पदक की आस बनी हुई है।

प्राची यादव कैनोइंग के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं। वे कैनो स्प्रिंट में भाग ले रहीं हैं जोकि बेहद मुश्किल स्पर्धा है. ग्वालियर के बहोड़ापुर इलाके के आनंद नगर की रहने वाली प्राची यादव ने कैनो स्प्रिंट की महिला सिंगल्स के 200 मीटर वीएल-2 स्पर्धा में अच्छा प्रदर्शन कर फाइनल में जगह बनाई। उन्होंने यह दूरी महज 1:07.397 में पूरी की।

प्राची यादव जन्म से ही दिव्यांग हैं। वे एक्सरसाइज करने के रूप में तैराकी में आईं. प्राची के दोनों पैर जन्म से ही खराब हैं पर उनके हाथ बड़े-बड़े हैं. उनके हाथों को देखकर और तैराकी में उनका प्रदर्शन ध्यान में रखते हुए उनके कोच मयंक सिंह ठाकुर ने उन्हें कैनोइंग और कयाकिंग में भाग्य आजमाने की सलाह दी। प्राची ने भी तुरंत कोच की सलाह मान ली और इसके बाद मानो इतिहास रच दिया.

Prachi Yadav Canoe Sprinter Tokyo Paralympics 2020
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उन्होंनें 2018 में भोपाल के छोटे तालाब में प्रैक्टिस शुरू कर दी। लगातार और कठिन प्रैक्टिस का नतीजा अगले ही साल सन 2019 में मिल गया जब अपने पहले ही नेशनल में उन्होने एक गोल्ड और एक सिल्वर जीता। इसके बाद अगस्त 2019 में हंगरी में खेले गए पैरालंपिक्स क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के कैनोइंग इवेंट में वे 8वीं पोजिशन पर रहीं। तैराकी से जुड़े होने के कारण कैनोइंग में प्राची को खासा लाभ मिला.

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7 साल की उम्र में उनकी मां का भी देहांत हो गया था। इसके दो साल बाद प्राची तैराकी से जुड़ीं थीं। इसी साल यानि सन 2007 में ही उन्हें चैंपियनशिप में खेलने का मौका भी मिल गया. प्राची ने जूनियर कैटेगरी में गोल्ड जीत लिया जिससे खेल के प्रति उनका लगाव और आत्मविश्वास बढ़ गया। वे कड़ी मेहनत पर विश्वास करती हैं. पैरालंपिक में भाग लेने के लिए उन्होंने भोपाल की छोटी झील में बहुत भारी बोट से प्रेक्टिस की थी.

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