प्रस्तावित रूट नंबर दो अब एम्स से करोंद तक 14.33 किमी की बजाए सुभाष नगर तक 6.25 किमी तक बनेगा। सरकार ने इसके लिए 277 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए हैं। इंजन, बोगी, पटरियों के स्वदेशीकरण सहित कलपुर्जों की खरीदी प्रक्रिया समिति दिल्ली में होने वाली अगली बैठक में तय होगी। इससे पहले भोपाल में पहले फेज की लागत 6962.92 करोड़ एवं इंदौर में 7100.50 करोड़ रुपए आंकी गई थी। सभी चरणों को पूरा करने के लिए भोपाल में 95.3 किमी लंबे रूट पर कुल 86 स्टेशनों वाले भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 22 हजार करोड़ रुपए जबकि इंदौर में 103.441 किलोमीटर लंबे रूट पर 88 स्टेशन बनाने के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है।
प्रोजेक्ट डीपीआर के मुताबिक प्रोजेक्ट पर 2016 से काम शुरू होना था और पहला फेज 2018 में बनकर तैयार होना था। 2019 से संचालन शुरू होना था और 2044 तक प्रोजेक्ट की 80 प्रतिशत लागत वसूल होने का गणित दिखाया गया था। प्रोजेक्ट लेट होने के बाद केंद्रीय विभाग फिकरमंद है कि कहीं बीआरटीएस की तरह मेट्रो रेल को पर्याप्त यात्री नहीं मिले तो प्रोजेक्ट कर्ज में डूब सकता है। कर्ज पर केंद्र सरकार गारंटर बनेगी इसलिए भी वित्तीय जोखिम पर बहुत बारीकी से दिल्ली के मंत्रालय अध्यन कर रहे हैं।
मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के बाकी के फेज पीपीपी मोड पर बनाए जाएंगे। पहले फेज के लिए कंपनियों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। -विवेक अग्रवाल, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास