राजधानी जयपुर की ये तस्वीरें सरकारी सिस्टम की ऐसी हकीकत बयां कर रही है, जिसमें श्रमिकों की जान का निगम के आला अधिकारियों की नजरों में कोई मोल नहीं है। साहब! ये श्रमिक भी किसी के बेटे, पति और भाई हैं, जिसकी सलामती के लिए उनके परिवार वाले रोजाना दुआ करते होंगे।
मानसून की एंट्री के बाद अब अधिकारियों को शहर के नालों की सफाई याद आ रही है। हर साल एक ही गलती करते हैं निगम वाले लेकिन मजाल है इस गलती से सीख ले लेंवे।
शहर में मानूसन का स्वागत गंदे, बदबूदार और जानलेवा नालों से किया जा रहा है। अधिकांश नालों की सफाई का काम आधा-अधूरा है।
अब जेसीबी और बिना संसाधन उतरे श्रमिकों की मदद से नालों को साफ करना शुरू किया गया है, लेकिन श्रमिकों की जान जोखिम में हैं। आकंठ पानी और मलबा, नीचे दलदल… कभी भी किसी की भी जिंदगी लील सकते हैं।
जयपुर के रामगढ़ रोड इलाके में इस समय गंदे नालों की सफाई का काम चल रहा है। सफाई का काम बिना संसाधनों के किया जा रहा है। यहां तक कि फेसमास्क, हेलमेट तक श्रमिकों के पास तक नहीं है। गंदे नालों में कोई कीड़ा, सांप या अन्य कोई जहरीला जंतु काट ले तो उसके लिए भी बचाव के कोई संसाधन नहीं है।
ये तस्वीर हर साल एक सी रहती है। कुछ श्रमिक दो जून की रोटी के लिए अपनी जान दांव पर लगाते हैं और निगम के अधिकारी नालों की सफाई का काम जल्द से जल्द और जैसे-तैसे पूरा करने के प्रयास में लगे रहते हैं।