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भोपाल

चीते, हाथियों के बाद अब मप्र पहुंचेंगे जंगली भैंसे, कान्हा टाइगर रिजर्व से 40 साल पहले विलुप्त हो चुकी है ये प्रजाति

मध्य प्रदेश की सरकार जंगली भैंसों को बसाने की तैयारी कर रही है। ये जंगली भैंसे आसाम से लाए जाएंगे। इन जंगली भैंसों को कान्हा टाइगर रिजर्व में बसाया जाएगा।

भोपालDec 03, 2022 / 12:24 pm

Sanjana Kumar

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भोपाल। मप्र में चीते बसाने के बाद शुक्रवार को कर्नाटक से लाए गए हाथियों को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व सेंचुरी में लाया गया है। वहीं अब मध्य प्रदेश की सरकार जंगली भैंसों को बसाने की तैयारी कर रही है। ये जंगली भैंसे आसाम से लाए जाएंगे। इन जंगली भैंसों को कान्हा टाइगर रिजर्व में बसाया जाएगा। यहां आपको बताते चलें कि आज से 40 साल पहले तक कान्हा के जंगलों में जंगली भैंस आसानी से दिखाई दे जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह विलुप्त हो गए। अब सरकार एक बार फिर जंगली भैंसों को बसाने की तैयारी कर रही है। यानि पर्यटकों को जल्द ही यहां जंगली भैंसे के दीदार भी होंगे।

आसाम सरकार को भेजा जाएगा पत्र
मध्यप्रदेश सरकार का वन विभाग इस संदर्भ का एक पत्र लिखने वाला है। यह पत्र आसाम सरकार को भेजा जाएगा। इस पत्र में विभाग जंगली भैंसों को मध्यप्रदेश भेजने की मांग करेगा। यदि सब कुछ ठीक रहा तो कान्हा टाइगर रिजर्व 40 साल बाद एक बार फिर जंगली भैंसों से आबाद हो जाएगा। यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को यहां जंगली भैंसे भी देखने को मिलेंगे।

यहां है इनके अनुकूल वातावरण
कान्हा में जंगली भैंसों के अनुकूल वातावरण है या नहीं इसके लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इसका अध्ययन भी कराया है। वन विभाग ने अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर वन मंत्री को प्रस्ताव भेजा है। आपको बता दें कि प्रदेश में 40 साल पहले जंगली भैंसे कान्हा के जंगलों में पाए जाते थे। अब राज्य सरकार एक बार फिर प्रदेश के जंगल को जंगली भैंसों से आबाद करने का प्रयास कर रही है।

मध्य प्रदेश में 40 साल पहले पाए जाते थे भैंसे
आपको बता दें कि एशियाई जंगली भैंसों की संख्या वर्तमान में 4000 से भी कम रह गई है। जबकि एक सदी पहले तक पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में बड़ी तादाद में जंगली भैंसे पाए जाते थे। वहीं आज केवल भारत, नेपाल, बर्मा और थाईलैंड में ही जंगली भैंसे पाए जाते हैं। भारत में आसाम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में इन्हें देखा जा सकता है। मध्य भारत में यह छत्तीसगढ़ में रायपुर संभाग और बस्तर में पाया जाता है। जंगली भैंसों की एक प्रजाति जिसके मस्तक पर सफेद निशान होता है, पहले मध्य प्रदेश के वनों में भी पाई जाती थी, लेकिन अब यह प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।

जानें जंगली भैंसों की खासियत
मादा जंगली भैंस अपने जीवन काल में पांच बच्चों को जन्म देती है, इनकी जीवन अवधि नौ वर्ष की होती है। नर बच्चे दो वर्ष की उम्र में झुंड छोड़ देते हैं। जंगली भैंसे का जन्म अक्सर बारिश के मौसम के अंत में होता है। आम तौर पर मादा जंगली भैंसें और उनके बच्चे झुंड बना कर रहती हैं और नर झुंड से अलग रहते हैं, लेकिन यदि झुंड की कोई मादा गर्भ धारण के लिए तैयार होती है तो सबसे ताकतवर नर उसके पास किसी और नर को नहीं आने देता। यह नर आम तौर पर झुंड के आसपास ही बना रहता है। यदि किसी बच्चे की मां मर जाए तो दूसरी मादाएं उसे अपना लेती हैं। जंगली भैंसों को सबसे बड़ा खतरा पालतू मवेशियों की संक्रमित बीमारियों से ही है, इनमें प्रमुख बीमारी फुट एंड माउथ है। रिडंर्पेस्ट नाम की बीमारी ने एक समय इनकी संख्या में बहुत कमी ला दी थी।

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