केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय पेसा अधिनियम के सुचारू कार्यान्वयन के लिए “Center of Excellence” स्थापित करने की दिशा में भी काम कर रहा है, जिसके चलते इसे केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में स्थापित करने की भी योजना बनाई गई है।
क्या है अभियान का उद्देश्य
भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय ने देश की सभी पेसा ग्राम पंचायतों में इस अभियान का प्रारंभ किया है। इस अभियान का उद्देश्य पेसा ग्राम पंचायतों को स्थानीय जरूरतों के मुताबिक विकास योजनाएं बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने के लिए प्रेरित करना है। जानकारी के अनुसार आदिवासी क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, पेसा अधिनियम के तहत यह महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। पेसा का पूरा नाम पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार ) अधिनियम 1996 है। यह ऐसा अधिनियम है जिसके तहत मध्यप्रदेश ,आंध्रप्रदेश ,छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों ने अपने राज्य पंचायती राज अधिनियम के तहत अपने राज्य पेसा नियम बनाए है।
एमपी के इन क्षेत्रों को मिलेगा लाभ
मध्यप्रदेश के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5 हजार 133 ग्राम पंचायतों के अधीन 11 हजार 596 ग्राम पेसा क्षेत्र में आते हैं। अलीराजपुर, झाबुआ, मंडला, बड़वानी, अनूपपुर एवं डिंडोरी पूर्ण पेसा जिलों में रूप में चिन्हित हैं। जबकि बालाघाट, बैतूल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, धार, खंडवा, नर्मदापुरम, खरगोन, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, सीधी उमरिया एवं रतलाम आंशिक पेसा जिले हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोगों से की अपील
मुख्यमंत्री ने इस अभियान के तहत ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों के जुड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पंचायतें हमारे लोकतंत्र व्यवस्था की जमीनी और सशक्त इकाई हैं। मप्र के पेसा गांवो को इस अभियान के जरिए समग्र विकास के मौके मिलने वाले हैं। अभियान में पंचायत को जन-भागीदारी के साथ अपनी ग्राम पंचायत की विकास योजना तैयार करना है। यह योजना गांव में समावेशी विकास का मॉडल बनेगी। अभियान में गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम विषयों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।